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This Article is From Feb 08, 2024

क्या है ईरान का वह डोनेशन बॉक्स, जिसमें हर साल जमा होते हैं 2 बिलियन डॉलर?

1979 के बाद से ही ईरानी लोग इस डोनेशन बॉक्स में अपनी मनी डालते हैं. जिसमें तकरीबन हर साल 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम आती है.

क्या है ईरान का वह डोनेशन बॉक्स, जिसमें हर साल जमा होते हैं 2 बिलियन डॉलर?
नई दिल्ली:

ईरान (Iran) के पास एक डोनेशन बॉक्स है जिसमें हर साल 2 बिलियन डॉलर जमा होते हैं. इसका नाम इमाम खुमैनी रिलिफ फंड है. आइए जानते हैं कि इमाम खुमैनी रिलिफ फंड क्या है? ईरान में इस्लामिक क्रांति आने के बाद आयतुल्लाह खुमैनी ने पूरे ईरान में इमाम खुमैनी रिलिफ कमेटी शुरू की थी. जिसमें पूरे देश में हर गली, दफ्तर, घरों आदि में एक डोनेशन बॉक्स आपको नज़र आएगा. जहां तीन तरह की रकम आती है. पहली सरकार इसमें पैसे डालती है..दूसरा इस्लामिक टैक्स यानि खुम्स, ज़कात, सदका और तीसरा आम नागरिकों द्वारा दान... 

1979  से जारी है यह डोनेशन की परंपरा

1979 के बाद से ही ईरानी लोग इस डोनेशन बॉक्स में अपनी मनी डालते हैं. जिसमें तकरीबन हर साल 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम आती है. जिसमें तकरीबन 9 मिलियन गरीब ईरानियों की मदद की जाती है. जिसमें उनके लिए घर, स्कूल, वोकेशनल कोर्स, खाना, स्वास्थ्य सेवाएं, आदि दी जाती है. जिससे कोई भीख भी ना मांगे और इस पैसे का इस्तेमाल गरीब लोगों की तरक्की के लिए किया जाए. सबसे पहले बुज़ुर्ग, दिव्यांग, अनाथ आदि लोगों की पहले मदद की जाती है. वहीं तुर्की, सीरिया आदि में 2023 में आए हुए भूकंप में भी ईरान ने इसी फंड के ज़रिये ही मदद की थी. 

क्यों पड़ी थी इमाम खुमैनी फंड की ज़रूरत

बताते चलें कि 1979 में आयतुल्लाह खुमैनी ने ईरान के अंदर इस्लामिक क्रांति लायी थी. तब से वहां पर इस्लामिक कानून ही है. और इस्लाम में हर मुस्लिम पर ज़कात, खुम्स, सदका देने का हुकुम है. ईरान में ज्यादातर शिया समुदाय रहता है तो वहां शिया धर्म के कानून के मुताबिक खुम्स निकाला जाता है. ये खुम्स हर साल की जितनी कमाई होती है या ये कहें कि हर खर्चा निकालकर जो सेविंग हर साल में होती है, उस सेविंग का 5वां हिस्सा खुम्स का होता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी की सेविंग पूरे साल में 1 हजार रुपये है तो उसे 1 हज़ार का 20 प्रतिशत यानि 200 रुपये खुम्स निकालना पड़ेगा. और वो 200 रुपये में से आधे गरीब मज़लूम लोगों के लिए होते हैं जिसे सहमे सादात कहा जाता है. और बचे 100 रुपये सहमे इमाम के होते हैं. तो उस हिसाब से अगर ईरान की हर जनता सहमे सादात अपनी सेविंग पर निकालेगी तो बहुत अच्छी खासी रकम बन जाती है. तभी से सहमे सादात के पैसे हर कोई इसी बॉक्स में ही डालता है. और आज तक डाला आ रहा है. इसमें लोग दान भी डालते हैं.. या अपनी सेविंग के हिसाब से भी बॉक्स में मनी डालते हैं.. 

2 बिलियन डॉलर से ज्यादा रकम, सबसे ज्यादा कहा से मिलते हैं दान?

आपको बता दें कि इन बॉक्सों से हर साल ईरान के पास 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम आती है. जिसमें 75 प्रतिशन रकम सरकार की तरफ से होती है. और 25 प्रतिशत रकम आम जनता आदि के ज़रिये डाली जाती है. गौर करने वाली बात ये है कि हर ऑफिस के बाहर, हर गली में, ज्यादातर हर घरों में आपको ये बॉक्स देखने को मिलेंगे

कैसे होती है इतनी रकम की हिफाज़त

अब आप सोच रहे होंगे की गली, मोहल्ले में ये बॉक्स लगे होने पर क्या इसे कोई चुरा नहीं सकता.. तो आपको बता दें कि ये पूरी तरह से प्रोटक्टड होते हैं.. इसमें एक अलग ही लॉक लगा होता है.. जिसकी चाभी भी सिर्फ इमाम खुमैनी रिलिफ कमेटी के सदस्यों के पास ही होती है.. जो हफ्ते या महीने में एक बार बॉक्स खोलकर पूरी रकम निकालते हैं. वहीं हर घर में भी आपको ये बॉक्स नज़र आएंगे. जहां गवर्नर की तरफ से ही मेंबर अपाइंट होते हैं जो स्लीप देकर हर घर से इस बॉक्स में डाली गई रकम लेते हैं. जिससे हर किसी के पास सबूत भी हो.

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