
- डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ गाजा पर एक बहुपक्षीय बैठक की।
- बैठक में तुर्की, कतर, सऊदी अरब, पाकिस्तान, मिस्र, यूएई और जॉर्डन के नेता शामिल रहे, गाजा सीजफायर पर चर्चा
- ट्रंप ने इस बैठक को अपनी सबसे महत्वपूर्ण बैठक बताते हुए गाजा में युद्ध को जल्द खत्म करने का संकल्प जताया
अमेरिका के न्यूयॉर्क में इस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठकें चल रही हैं और पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि तमाम देश वहां से क्या मैसेज देते हैं. जब गाजा से लेकर यूक्रेन तक, दुनिया कई जंग से जूझ रही है, इन बैठकों के नतीजों से शांति की उम्मीद की जा रही थी. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठकों के इतर पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ सहित मुस्लिम देशों के चुनिंदा नेताओं के साथ गाजा पर एक बहुपक्षीय बैठक की है.
मंगलवार, 23 सितंबर को हुई इस बैठक में तुर्की, कतर, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और जॉर्डन के नेताओं ने भाग लिया. यहां गाजा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से संभावित राजनयिक, राजनीतिक और मानवीय विकल्पों की खोज की गई. बैठक में शामिल देशों ने तनाव कम करने, सीजफायर की व्यवस्था और क्षेत्र में दीर्घकालिक (लंबे समय के लिए) स्थिरता के रास्ते पर विचार-विमर्श किया.
उन्होंने कहा, "यह मेरी सबसे महत्वपूर्ण बैठक है. मैंने कई महत्वपूर्ण बैठकें की हैं. (लेकिन) यह वह बैठक है जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम उस चीज को खत्म करने जा रहे हैं जिसे आपने शायद कभी शुरू नहीं किया है. हम गाजा में युद्ध को खत्म करना चाहते हैं. हम इसे खत्म करने जा रहे हैं. शायद हम इसे अभी खत्म कर सकते हैं."
कतर के अमीर शेख तमीम ने गाजा पर एक बैठक की मेजबानी के लिए ट्रंप को धन्यवाद देते हुए कहा कि अरब नेता संघर्ष को समाप्त करने के लिए उन पर भरोसा कर रहे हैं. उन्होंने ट्रंप से कहा, "हमारे यहां आने का एकमात्र कारण युद्ध रोकना और बंधकों को वापस लाना है. हम इस युद्ध को समाप्त करने और गाजा के लोगों की मदद करने के लिए आप और आपके नेतृत्व पर भी भरोसा करते हैं."
बैठक खत्म होने के बाद, ट्रंप ने पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि उनकी "बहुत अच्छी मुलाकात" हुई.
इससे पहले दिन में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान, ट्रंप ने शांति बहाल करने के लिए "उचित प्रस्तावों" को अस्वीकार करने के लिए हमास को सीधे तौर पर दोषी ठहराया. साथ ही उन देशों की आलोचना की जिन्होंने हाल ही में फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है.
"हम 7 अक्टूबर को नहीं भूल सकते. मानो लगातार संघर्ष को प्रोत्साहित करने के लिए, इस निकाय के कुछ लोग एकतरफा फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं. हमास के आतंकवादियों को उनके अत्याचारों के लिए पुरस्कार बहुत बड़ा होगा. "जो लोग शांति चाहते हैं उन्हें एक संदेश के साथ एकजुट होना चाहिए: बंधकों को अभी रिहा करें. अभी बंधकों को रिहा कर दीजिए.''
गौरतलब है कि इस सप्ताह, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, पुर्तगाल और यूनाइटेड किंगडम सहित 10 देशों ने औपचारिक रूप से फिलिस्तीनी देश को मान्यता दी है.
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