
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिकागो में 300 नेशनल गार्ड सैनिक तैनात कर शहर को वॉर जोन घोषित किया है
- शिकागो के मेयर और गवर्नर सहित स्थानीय निर्वाचित नेताओं ने ट्रंप की सेना तैनाती का कड़ा विरोध जताया है
- ट्रंप का आरोप है कि यह कदम अपराध और अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवश्यक था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के ही तीसरे सबसे बड़े शहर- शिकागो को वॉर जोन बना दिया है. ट्रंप प्रशासन ने स्थानीय डेमोक्रेटिक सरकार की इच्छा के विरुद्ध यहां 300 सैनिकों को तैनात कर दिया है. ट्रंप ऐसा उस समय कर रहे हैं जब देश भर में राजनीतिक संकट बढ़ा है, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस राज्यों और शहरों को निशाना बनाया है जहां विपक्षी डेमोक्रेट की सरकार है. जहां ट्रंप का कहना है कि वो अपराध और अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए इन शहरों में सैनिक भेज रहे हैं वहीं स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ट्रंप सत्तावादी हो गए हैं और सत्ता हथियाने के लिए यह सब कर रहे हैं.
शिकागो में ट्रंप ने सेना भेजकर मचाया बवाल
शिकागो के मेयर और इलिनॉस राज्य के गवर्नर जेबी प्रित्जकर सहित जनता के चुने तमाम निर्वाचित नेताओं के विरोध के बावजूद, ट्रंप ने शनिवार देर रात अमेरिका के तीसरे सबसे बड़े शहर शिकागो में 300 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दे दी. इसके बाद होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने रविवार को इस कदम का बचाव करते हुए फॉक्स न्यूज पर दावा किया कि शिकागो "एक युद्ध क्षेत्र" यानी वॉर जोन है.
अमेरिका की जनता खुश नहीं!
रविवार को जारी CBS सर्वे में पाया गया कि 58 प्रतिशत अमेरिकी शहरों में नेशनल गार्ड तैनात करने का विरोध करते हैं. ट्रंप ने पिछले मंगलवार को ही अमेरिका के "भीतर से युद्ध" के लिए सेना का उपयोग करने की बात कही थी. अबतक उन्होंने अपने कट्टरपंथी कैंपेन पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिखाया है.
ट्रंप को कोर्ट से झटका
ट्रंप अमेरिका की जमीन पर ही सेना का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि ट्रंप के इस कैंपेन को शनिवार देर रात पोर्टलैंड, ओरेगॉन में झटका लगा जब एक अदालत ने सैनिकों की तैनाती को गैरकानूनी करार दिया.
शिकागो की तरह ट्रंप ने बार-बार पोर्टलैंड को भी "युद्ध-ग्रस्त" कहा है. लेकिन अमेरिकी जिला जज कैरिन इमरगुट ने सैनिकों की तैनाती पर अस्थायी रोक लगाते हुए कहा, "राष्ट्रपति का दृढ़ संकल्प तथ्यों से परे है." इमरगुट ने अपने फैसले में लिखा, "यह संवैधानिक कानून का देश है, मार्शल लॉ का नहीं."
कोर्ट ने कहा कि यह सच है कि पोर्टलैंड में फेडरल (केंद्रीय) अधिकारियों और संपत्ति पर छिटपुट हमले देखे गए हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन यह साबित करने में विफल रहा कि "हिंसा की वे घटनाएं सरकार को पूरी तरह से उखाड़ फेंकने के एक संगठित प्रयास का हिस्सा थीं" - जिससे सैन्य बल को उचित ठहराया जा सके.
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