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बदला लिया तो… चीन पर 125% टैरिफ लगाकर ट्रंप दूसरे देशों को क्या मैसेज दे रहे?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राहत देने की जगह सभी चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत लगा दिया. इससे पहले चीन ने जवाबी कार्रवाई में सभी अमेरिकी आयातों पर 84 प्रतिशत के नए टैरिफ की घोषणा की थी.

बदला लिया तो… चीन पर 125% टैरिफ लगाकर ट्रंप दूसरे देशों को क्या मैसेज दे रहे?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 9 अप्रैल को कम से कम 90 दिनों के लिए 75 देशों पर लगाए अपने व्यापक टैरिफ पर रोक लगा दी. हालांकि दूसरी तरफ उन्होंने चीन पर और दबाव बढ़ा दिया है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टकराव और बढ़ गया. राहत देने की जगह ट्रंप ने सभी चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत लगा दिया. इससे पहले चीन ने जवाबी कार्रवाई में सभी अमेरिकी आयातों पर 84 प्रतिशत के नए टैरिफ की घोषणा की थी. दोनों देश पिछले एक सप्ताह से टैरिफ वॉर में उलझे हुए हैं और बार-बार जैसे को तैसा जवाब देते हुए टैरिफ बढ़ा रहे हैं.

चीन का उदाहरण देने के बाद, व्हाइट हाउस ने तमाम व्यापारिक पार्टनर देशों को कड़ी चेतावनी दी है कि "बदला न लें और आपको पुरस्कृत किया जाएगा."

इस बीच, चीन ने अमेरिका की आक्रामकता के खिलाफ पीछे हटने से इनकार कर दिया. चीनी की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, अमेरिकी आयात पर उसका 84 प्रतिशत टैरिफ गुरुवार दोपहर 12.01 बजे लागू हो गया.

ट्रंप के 125 प्रतिशत वाले टैरिफ के लागू होने से पहले, बीजिंग के वाणिज्य मंत्री ने कहा था कि अमेरिका द्वारा 'रेसिप्रोकल टैरिफ' "सभी देशों के वैध हितों का गंभीर उल्लंघन" है. शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि व्यापार युद्ध में कोई भी नहीं जीतेगा. अधिकारी ने बुधवार को कहा, "मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है और चीन व्यापार युद्ध नहीं चाहता है. लेकिन चीनी सरकार किसी भी तरह से चुप नहीं बैठेगी जब उसके लोगों के वैध अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाया जाएगा और उन्हें वंचित किया जाएगा."

अधिकांश व्यापारिक पार्टनर देशों पर भारी नए टैरिफ लागू करने के 24 घंटे से भी कम समय में ट्रंप ने यूटर्न लिया है. ट्रंप के टैरिफ नीति ने कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों के बाद से वित्तीय बाजार को सबसे अधिक अस्थिरता किया है. शेयर बाजारों से खरबों डॉलर मिटा दिए और अमेरिकी सरकारी बांड भी गिरे. ट्रंप के यूटर्न के बाद मार्केट ने सांस लिया है.

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