
सभी तस्वीरें : AFP
हिरोशिमा:
राष्ट्रपति ओबामा ने शुक्रवार को हिरोशिमा की यात्रा करके इतिहास रच दिया है। वह ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने इस पद पर रहते हुए उस स्थान का दौरा किया जो परमाणु युग की तबाही का शिकार बना था। इस हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति ओबामा ने कहा '71 साल पहले आसमान से मौत आई थी जिसने पूरी दुनिया को बदल दिया था।' पुष्पमाला अर्पित करने के दौरान ओबामा बेहद शांत मुद्रा में थे और उन्होंने थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें मूंद ली थीं। इसके बाद जापान के प्रधानमंत्री शिन्ज़ो आबे ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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ओबामा ने कहा 'इस हमले ने दिखाया कि किस तरह मानवजाति के पास अपने आपको तबाह करने के सारे सामान मौजूद हैं। हम हिरोशिमा क्यों आए हैं? हम उस खौफनाक ताकत पर चिंता जताने आए हैं, नज़दीकी अतीत में जिसे खुला छोड़ दिया गया था। हम उस मौत पर अफसोस प्रकट करने आए हैं।'
नैतिक क्रांति की जरूरत
अपनी बात पूरी करते हुए ओबामा ने कहा 'उनकी आत्माएं हमसे बातें करती हैं, वे हमें अपने अंदर झांकने के लिए कहती हैं ताकि हम जान सकें कि आखिर हम कौन हैं। मानव संस्थानों के विकास के बगैर किसी भी तरह की तकनीकी बढ़त हमें डुबो सकती है। जिस वैज्ञानिक क्रांति ने इस एटम को गिराने का रास्ता बनाया उसके साथ एक नैतिक क्रांति का होना भी जरूरी था।' ओबामा ने कहा 'यही वजह है कि आज हम यहां आए हैं, इस शहर के बीचोंबीच खड़े होकर कल्पना कीजिए उस पल की जब यहां बम गिरा था। उन बच्चों की भावनाओं को समझिए जिन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन्होंने क्या देखा। उनके खामोश रुदन को सुनें।'
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यह यात्रा उस भयावह हमले के सात दशक से भी ज्यादा समय बाद हो रही है, जिसमें एक अमेरिकी विमान ने ‘लिटिल बॉय’ नाम के पेलोड को जापान के पश्चिमी शहर पर गिराकर तबाही का मंजर दिखा दिया था। इस बमबारी ने 1.4 लाख लोगों की जान ले ली थी। इनमें से कुछ लोग झुलसा देने वाली गर्मी की चपेट में आकर तुरंत ही मारे गए थे जबकि कुछ लोगों ने घायल होने की वजह से या विकिरण की चपेट में आकर बीमार होने की वजह से कुछ हफ्तों, महीनों या सालों में दम तोड़ दिया था।
अमेरिका ने दूसरा बम तीन दिन बाद नागासाकी पर गिराया था। ओबामा ने अपने कार्यकाल के अंतिम साल में होने वाली इस यात्रा से सात साल पहले, प्राग में परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खात्मा करने के आह्वान वाला ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
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ओबामा ने कहा 'इस हमले ने दिखाया कि किस तरह मानवजाति के पास अपने आपको तबाह करने के सारे सामान मौजूद हैं। हम हिरोशिमा क्यों आए हैं? हम उस खौफनाक ताकत पर चिंता जताने आए हैं, नज़दीकी अतीत में जिसे खुला छोड़ दिया गया था। हम उस मौत पर अफसोस प्रकट करने आए हैं।'
नैतिक क्रांति की जरूरत
अपनी बात पूरी करते हुए ओबामा ने कहा 'उनकी आत्माएं हमसे बातें करती हैं, वे हमें अपने अंदर झांकने के लिए कहती हैं ताकि हम जान सकें कि आखिर हम कौन हैं। मानव संस्थानों के विकास के बगैर किसी भी तरह की तकनीकी बढ़त हमें डुबो सकती है। जिस वैज्ञानिक क्रांति ने इस एटम को गिराने का रास्ता बनाया उसके साथ एक नैतिक क्रांति का होना भी जरूरी था।' ओबामा ने कहा 'यही वजह है कि आज हम यहां आए हैं, इस शहर के बीचोंबीच खड़े होकर कल्पना कीजिए उस पल की जब यहां बम गिरा था। उन बच्चों की भावनाओं को समझिए जिन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उन्होंने क्या देखा। उनके खामोश रुदन को सुनें।'
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यह यात्रा उस भयावह हमले के सात दशक से भी ज्यादा समय बाद हो रही है, जिसमें एक अमेरिकी विमान ने ‘लिटिल बॉय’ नाम के पेलोड को जापान के पश्चिमी शहर पर गिराकर तबाही का मंजर दिखा दिया था। इस बमबारी ने 1.4 लाख लोगों की जान ले ली थी। इनमें से कुछ लोग झुलसा देने वाली गर्मी की चपेट में आकर तुरंत ही मारे गए थे जबकि कुछ लोगों ने घायल होने की वजह से या विकिरण की चपेट में आकर बीमार होने की वजह से कुछ हफ्तों, महीनों या सालों में दम तोड़ दिया था।
अमेरिका ने दूसरा बम तीन दिन बाद नागासाकी पर गिराया था। ओबामा ने अपने कार्यकाल के अंतिम साल में होने वाली इस यात्रा से सात साल पहले, प्राग में परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खात्मा करने के आह्वान वाला ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
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