अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो (फोटो : AFP)
हवाना:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके क्यूबाई समकक्ष राउल कास्त्रो ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों से जारी गतिरोध खत्म करने पर ऐतिहासिक वार्ता के लिए सोमवार को हवाना के ‘पैलेस ऑफ द रिवोल्यूशन’ में मुलाकात की। इसके बाद दोनों के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो बार-बार हेडफोन लगाते और उतारते नजर आए। इसके साथ ही वह कक्ष में इधर-उधर सवालिया निगाह से भी देखते रहे।
अंत में कास्त्रो पत्रकारों का एक सवाल लेने के लिए राजी हो गए। शीतयुद्ध के दौर से एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए इन देशों के बीच मौजूद बहुत से अंतरों में से एक बड़ा अंतर मीडिया की मुखरता भी है।
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 84 वर्षीय कास्त्रो ने सवाल के जवाब में पूछा, ‘‘आपने राजनीतिक कैदियों के बारे में क्या कहा? क्या आप राजनीतिक कैदियों के बारे में पूछे गए सवाल को दोहरा सकते हैं?’’
ओबामा और कास्त्रो सोमवार को अमेरिका और क्यूबा के संबंधों के एक नए दौर में बात कर रहे थे, लेकिन इस संयुक्त सम्मेलन के दौरान दो संस्कृतियों, दो राजनीतिक व्यवस्थाओं और दो पीढ़ियों का टकराव कई बार देखने को मिला। इसी संवाददाता सम्मेलन को क्यूबा टेलीविजन पर सीधे प्रसारित किया गया।
इस संबोधन से कई सप्ताह पहले क्यूबा और अमेरिका के अधिकारियों ने लंबे समय तक ये वार्ताएं की थीं कि हवाना में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद क्या संवाददाताओं को सवाल पूछने की अनुमति दी जाएगी? जब ओबामा बीजिंग गए थे, तब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी संवाददाताओं के सवालों का सामना किया था।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्यूबा की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों में आज के दिन को एक ‘नया दिन’ करार दिया।
क्यूबा के आंतरिक मामलों में पूर्व में किए जाते रहे अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर एक सीमा खींचने की कोशिश करते हुए ओबामा ने घोषणा की कि ‘‘क्यूबा की किस्मत का फैसला अमेरिका या कोई दूसरा राष्ट्र नहीं करेगा।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने साम्यवादी देश के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो के साथ अपनी मुलाकात के दौरान कहा कि अमेरिका लोकतंत्र के लिए खड़ा रहेगा, लेकिन अतीत पर नहीं बल्कि भविष्य पर ध्यान देगा।
कास्त्रो ने भी ‘‘दोनों देशों के बीच बने हुए गहरे मतभेदों के खत्म ना होने की बात’ मानते हुए ‘‘दोनों देशों को करीब लाने वाली चीजों’’ पर काम करने की घोषणा की।
क्यूबा के राष्ट्रपति ने हालांकि जोर दिया कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से बनी हुई कटुता का अध्याय समाप्त करने के लिए अमेरिका द्वारा लंबे समय से लगाए हुए आर्थिक प्रतिबंध एवं ग्वांतनामो क्यूबा को वापस करना उसकी शर्तें हैं।
इससे पहले ओबामा एक औपचारिक मुलाकात में सिर्फ तीसरी बार कास्त्रो से मिले। वह ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो 1928 के बाद पहली बार क्यूबा पहुंचे हैं।
पैलेस ऑफ रेवोल्यूशन में सेना के एक बैंड ने ओबामा का स्वागत किया। यह इमारत 1959 की क्रांति के बाद से सरकार की मुख्य इमारत है। इस क्रांति ने क्यूबा को एक साम्यवादी देश बना दिया था।
अमेरिका में दोनों देशों के बीच आधी सदी से भी ज्यादा समय से चले आ रहे कटु गतिरोध को खत्म करने के सकारात्मक नतीजे दिखाने के लिए दबाव का सामना कर रहे ओबामा इसके बाद दोनों देशों के झंडों की पृष्ठभूमि में कास्त्रो के साथ चर्चा के लिए बैठे। अमेरिका ने अब तक क्यूबा के खिलाफ लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध पूरी तरह नहीं हटाए हैं और क्यूबा में अब भी कई बुनियादी स्वतंत्रताओं पर रोक लगी हुई है। लेकिन इन मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं ने कहा कि वे शीत युद्ध के समय के संघर्ष को खत्म करने के लिए तैयार हैं।
अंत में कास्त्रो पत्रकारों का एक सवाल लेने के लिए राजी हो गए। शीतयुद्ध के दौर से एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए इन देशों के बीच मौजूद बहुत से अंतरों में से एक बड़ा अंतर मीडिया की मुखरता भी है।
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 84 वर्षीय कास्त्रो ने सवाल के जवाब में पूछा, ‘‘आपने राजनीतिक कैदियों के बारे में क्या कहा? क्या आप राजनीतिक कैदियों के बारे में पूछे गए सवाल को दोहरा सकते हैं?’’
ओबामा और कास्त्रो सोमवार को अमेरिका और क्यूबा के संबंधों के एक नए दौर में बात कर रहे थे, लेकिन इस संयुक्त सम्मेलन के दौरान दो संस्कृतियों, दो राजनीतिक व्यवस्थाओं और दो पीढ़ियों का टकराव कई बार देखने को मिला। इसी संवाददाता सम्मेलन को क्यूबा टेलीविजन पर सीधे प्रसारित किया गया।
इस संबोधन से कई सप्ताह पहले क्यूबा और अमेरिका के अधिकारियों ने लंबे समय तक ये वार्ताएं की थीं कि हवाना में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद क्या संवाददाताओं को सवाल पूछने की अनुमति दी जाएगी? जब ओबामा बीजिंग गए थे, तब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी संवाददाताओं के सवालों का सामना किया था।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्यूबा की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों में आज के दिन को एक ‘नया दिन’ करार दिया।
क्यूबा के आंतरिक मामलों में पूर्व में किए जाते रहे अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर एक सीमा खींचने की कोशिश करते हुए ओबामा ने घोषणा की कि ‘‘क्यूबा की किस्मत का फैसला अमेरिका या कोई दूसरा राष्ट्र नहीं करेगा।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने साम्यवादी देश के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो के साथ अपनी मुलाकात के दौरान कहा कि अमेरिका लोकतंत्र के लिए खड़ा रहेगा, लेकिन अतीत पर नहीं बल्कि भविष्य पर ध्यान देगा।
कास्त्रो ने भी ‘‘दोनों देशों के बीच बने हुए गहरे मतभेदों के खत्म ना होने की बात’ मानते हुए ‘‘दोनों देशों को करीब लाने वाली चीजों’’ पर काम करने की घोषणा की।
क्यूबा के राष्ट्रपति ने हालांकि जोर दिया कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से बनी हुई कटुता का अध्याय समाप्त करने के लिए अमेरिका द्वारा लंबे समय से लगाए हुए आर्थिक प्रतिबंध एवं ग्वांतनामो क्यूबा को वापस करना उसकी शर्तें हैं।
इससे पहले ओबामा एक औपचारिक मुलाकात में सिर्फ तीसरी बार कास्त्रो से मिले। वह ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो 1928 के बाद पहली बार क्यूबा पहुंचे हैं।
पैलेस ऑफ रेवोल्यूशन में सेना के एक बैंड ने ओबामा का स्वागत किया। यह इमारत 1959 की क्रांति के बाद से सरकार की मुख्य इमारत है। इस क्रांति ने क्यूबा को एक साम्यवादी देश बना दिया था।
अमेरिका में दोनों देशों के बीच आधी सदी से भी ज्यादा समय से चले आ रहे कटु गतिरोध को खत्म करने के सकारात्मक नतीजे दिखाने के लिए दबाव का सामना कर रहे ओबामा इसके बाद दोनों देशों के झंडों की पृष्ठभूमि में कास्त्रो के साथ चर्चा के लिए बैठे। अमेरिका ने अब तक क्यूबा के खिलाफ लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध पूरी तरह नहीं हटाए हैं और क्यूबा में अब भी कई बुनियादी स्वतंत्रताओं पर रोक लगी हुई है। लेकिन इन मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं ने कहा कि वे शीत युद्ध के समय के संघर्ष को खत्म करने के लिए तैयार हैं।
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