CPC ने शी चिनफिंग को चीन का खेवनहार बताया, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों पर साधा निशाना

कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को अपना ‘खेवनहार’ बताते हुए उनकी सराहना की और कहा कि वह पार्टी को मजबूत नेतृत्व देने वाले नेता के तौर पर उभरे हैं तथा राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी हैं.

CPC ने शी चिनफिंग को चीन का खेवनहार बताया, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों पर साधा निशाना

सीपीसी ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को अपने ‘खेवनहार’ का दर्जा दिया है. फाइल फोटो

बीजिंग:

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने शुक्रवार को राष्ट्रपति शी चिनफिंग को अपना ‘खेवनहार' बताते हुए उनकी सराहना की और कहा कि वह पार्टी को मजबूत नेतृत्व देने वाले नेता के तौर पर उभरे हैं तथा राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी हैं. शी, राष्ट्रपति पद पर रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल की तैयारी कर रहे हैं.उल्लेखनीय है कि खेवनहार का दर्जा पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को ही अब तक प्राप्त था.

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सीपीसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी प्रहार किया और कहा कि लोकतंत्र पर अमेरिका या पश्चिमी देशों का ‘विशेष पेटेंट' नहीं है. मुख्य नेता के तौर पर शी का दर्जा बढ़ाने के पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए शुक्रवार को सीपीसी के नीति अनुसंधान के निदेशक जियान जिनकुआन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में यदि पार्टी का एक मुख्य नेता नहीं होता तो यह अकल्पनीय होता.

राष्ट्रपति शी (68) सीपीसी के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी हैं. गुरुवार को संपन्न हुई चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की चार दिवसीय पूर्ण बैठक में देश के राजनीतिक इतिहास में चिनफिंग के मुख्य नेता के दर्जे को पुख्ता करते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया. इसके साथ ही अगले साल राष्ट्रपति चिनफिंग के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल के लिए भी रास्ता साफ कर दिया गया है.

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जियान ने कहा कि ​जिनपिंग ''पार्टी के मुख्य, जन नेता और सेना के कमांडर के रूप में बेहद योग्य हैं. उनका नेतृत्व समय की पुकार, इतिहास की पसंद और लोगों की आकांक्षा है. वह पार्टी को मजबूती से थामे हुए हैं. वह देश की रीढ़ हैं. लोकतंत्र पर पश्चिमी देशों का कोई विशेष एकाधिकार नहीं है. केवल पश्चिमी देश इसे परिभाषित या निर्धारित नहीं कर सकते. पश्चिम का चुनावी लोकतंत्र वास्तव में पूंजी द्वारा शासित है और यह वास्तविक लोकतंत्र का नहीं बल्कि अमीरों का खेल है. दुनिया के लोकतांत्रिक मॉडल एक जैसे नहीं हो सकते. यहां तक ​​​​कि लोकतंत्र के पश्चिमी स्वरूप भी पूरी तरह से समान नहीं हैं.''



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)