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This Article is From Jun 02, 2020

COVID-19 : अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी सहित 225 हस्तियों ने सरकारों से मांगा 2,500 अरब डॉलर का पैकेज

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी सहित 225 से अधिक वैश्विक हस्तियों ने संयुक्त रूप से आह्वान किया है कि 2500 अरब डॉलर के कोरोना वायरस वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार योजना पर सहमति के लिए G-20 की बैठक आयोजित की जाए.

COVID-19 : अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी सहित 225 हस्तियों ने सरकारों से मांगा 2,500 अरब डॉलर का पैकेज
प्रतीकात्मक तस्वीर
संयुक्त राष्ट्र:

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी तथा अर्थशास्त्री कौशिक बसु सहित 225 से अधिक वैश्विक हस्तियों ने संयुक्त रूप से आह्वान किया है कि 2500 अरब डॉलर के कोरोना वायरस वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार योजना पर सहमति के लिए G-20 की बैठक आयोजित की जाए. इन हस्तियों ने एक पत्र में कहा कि COVID-19 के मद्देनजर पैदा हुए स्वास्थ्य और आर्थिक संकट का समाधान करने के लिए G-20 शिखर सम्मेलन तत्काल बुलाया जाए. G-20 देशों ने 26 मार्च को एक व्यापक आर्थिक मंदी का पूर्वानुमान जताते हुए महामारी का मुकाबला करने के लिए 5000 अरब डॉलर के राहत पैकेज का संकल्प लिया था.

कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर में 3.75 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है, जबकि लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. इस पत्र पर सेन, सत्यार्थी और बसु के साथ अन्य प्रमुख वैश्विक हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन और टोनी ब्लेयर, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून और संयुक्त राष्ट्र महासभा की पूर्व अध्यक्ष मारिया फर्नांड एस्पिनोसा, श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक सुमन बेरी शामिल हैं.

इन लोगों ने कहा कि फिलहाल सऊदी अरब की राजधानी रियाद में इस साल नवंबर के अंत तक G-20 की बैठक नहीं होने वाली है और ऐसे में तत्काल कार्रवाई जरूरी है क्योंकि गरीब देशों को COVID-19 का मुकाबला करने के लिए जिस 2500 अरब डॉलर की सहायता की जरूरत है, उसके बेहद छोटे हिस्से का आवंटन किया गया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य एवं आर्थिक आपदा को टालने के लिए वक्त तेजी से बीत रहा है और 44 करोड़ अतिरिक्त लोग गरीबी में फंस सकते हैं तथा 26.5 करोड़ अतिरिक्त लोगों को कुपोषण का सामना करना पड़ सकता है. 

पत्र में कहा गया है कि G-20 की कार्रवाई के बिना महामारी के चलते पैदा हुई मंदी और गहरी होगी और इससे सभी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा. हालांकि दुनिया के सबसे अधिक कमजोर और गरीब देशों पर इसका सबसे अधिक असर होगा. उन्होंने कहा, ‘दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करने वाले G-20 देशों के पास इसका मुकाबला करने की क्षमता है. हम नेताओं से तत्काल ऐसा करने की अपील करते हैं.'
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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