संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (फाइल फोटो).
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि जो भी देश आतंकवाद का समर्थन करेगा उसको इसकी बड़ी भारी कीमतें चुकानी होंगी. आतंक से संयुक्त रूप से निबटने की खातिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी मध्यस्थता की पेशकश की.
महासचिव कल काबुल पहुंचे और उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्ला के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में संरा प्रमुख से उन दस्तावेजों तथा सबूतों के बारे में पूछा गया जो अफगानिस्तान सरकार ने आतंकवाद का वित्त पोषण करने तथा संसाधन मुहैया करवाने में पाकिस्तान की भागीदारी के संबंध में जमा करवाए हैं. उनसे पूछा गया कि क्या विश्व निकाय इन दस्तावेजों पर विचार कर रहा है. इस पर गुटेरेस ने कहा, यह संरा की सुरक्षा परिषद की क्षमता से संबंधित क्षेत्र हैं. महासचिव के तौर पर अब मेरा काम यह है कि मैं दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए अपनी मध्यस्थता कार्यालयों का इस्तेमाल करूं ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें.
उन्होंने रेखांकित किया कि अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुलाकात की थी. गुटेरेस ने कहा कि कजाकिस्तान की राजधानी में उन्होंने भी प्रधानमंत्री शरीफ से मुलाकात की थी और उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश करना है ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें. उन्होंने कहा, यह बेहद जरूरी है, न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए. अफगानिस्तान में हमने भयावह आतंकी हमले देखे, जैसा कि अभी काबुल में हुआ था, पाकिस्तान में भी भयानक आतंकी हमले देखे और पूरी दुनिया में आतंकी हमले देखे. अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो जाएं और संयुक्त राष्ट्र का महासचिव होने के नाते यह मेरा लक्ष्य भी है.
संरा प्रमुख से क्षेत्र के अन्य देश खासकर ईरान और चीन के बारे में पूछा गया जिन्होंने विद्रोही समूहों का समर्थन शुरू कर दिया है. उन्होंने ऐसे दावों को अस्वीकार करते हुए कहा, मैं इन आरोपों से सहमत नहीं हूं. हालांकि उन्होंने कहा, जो कोई भी देश दुनिया में कहीं भी आतंकवाद का समर्थन करता है, ऐसा करना गलत है. अगर कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंक को समर्थन देता है तो कभी न कभी उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी, उस देश को अपने यहां भी आतंक का सामना करना होगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
महासचिव कल काबुल पहुंचे और उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्ला के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में संरा प्रमुख से उन दस्तावेजों तथा सबूतों के बारे में पूछा गया जो अफगानिस्तान सरकार ने आतंकवाद का वित्त पोषण करने तथा संसाधन मुहैया करवाने में पाकिस्तान की भागीदारी के संबंध में जमा करवाए हैं. उनसे पूछा गया कि क्या विश्व निकाय इन दस्तावेजों पर विचार कर रहा है. इस पर गुटेरेस ने कहा, यह संरा की सुरक्षा परिषद की क्षमता से संबंधित क्षेत्र हैं. महासचिव के तौर पर अब मेरा काम यह है कि मैं दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए अपनी मध्यस्थता कार्यालयों का इस्तेमाल करूं ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें.
उन्होंने रेखांकित किया कि अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुलाकात की थी. गुटेरेस ने कहा कि कजाकिस्तान की राजधानी में उन्होंने भी प्रधानमंत्री शरीफ से मुलाकात की थी और उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश करना है ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें. उन्होंने कहा, यह बेहद जरूरी है, न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए. अफगानिस्तान में हमने भयावह आतंकी हमले देखे, जैसा कि अभी काबुल में हुआ था, पाकिस्तान में भी भयानक आतंकी हमले देखे और पूरी दुनिया में आतंकी हमले देखे. अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो जाएं और संयुक्त राष्ट्र का महासचिव होने के नाते यह मेरा लक्ष्य भी है.
संरा प्रमुख से क्षेत्र के अन्य देश खासकर ईरान और चीन के बारे में पूछा गया जिन्होंने विद्रोही समूहों का समर्थन शुरू कर दिया है. उन्होंने ऐसे दावों को अस्वीकार करते हुए कहा, मैं इन आरोपों से सहमत नहीं हूं. हालांकि उन्होंने कहा, जो कोई भी देश दुनिया में कहीं भी आतंकवाद का समर्थन करता है, ऐसा करना गलत है. अगर कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंक को समर्थन देता है तो कभी न कभी उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी, उस देश को अपने यहां भी आतंक का सामना करना होगा.
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