कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी (California University) के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार ओमिक्रॉन (Omicron) से शरीर में कितनी एंटीबॉडी बनती हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर हुई. वैक्सीन ले चुके अधिकतर लोग ओमिक्रॉन से गंभीर बीमार नहीं पड़ते लेकिन हल्की किस्म का ओमिक्रॉन मौजूदा वायरस और भविष्य के वायरस के खतरों से बचाव नहीं करता है.
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एक स्टडी में बताया गया है कि बूस्टर शॉट की तुलना में प्राकृतिक इन्फेक्शन से होने वाले संक्रमण से एक तिहाई प्रोटेक्शन मिलाता है.
उन्होंने कहा, "हमारे नतीजे बताते हैं कि ओमिक्रॉन से मिलने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता शायद भविष्य में आने वाले दूसरे संक्रमणों से बचाने में शायद कारगर नहीं होगी."
शोधकर्ताओं ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में वैक्सीन वैक्सीन बूस्टर्स की ज़रूरत पर भी ज़ोर डाला क्योंकि केवल प्राकृतिक संक्रमण शायद बार-बार होने वाले संक्रमण या नए वेरिएंट्स के खिलाफ अकेले काम नहीं कर पाएगा.
ज़्यादा संक्रामक
एक दूसरी स्टडी में यह सामने आया है कि ओमिक्रान की दूसरी पीढ़ी का वेरिएंट अपने मूल स्वरूप से अधिक संक्रामक है.
इसमें पता चला है कि ओमिक्रॉन की दूसरी पीढ़ी के वायरस BA.2 से संक्रमित हुए 39% लोग अपने घरों में दूसरों को भी संक्रमित करते हैं. जबकि ओमिक्रॉन के मूल स्वरूप से यह दर 29% ही थी. डेनमार्क में दिसंबर से जनवरी के बीच 8,541 घरों से जमा किए गए डेटा पर की गई स्टडी के अनुसार यह सामने आया.
शोधकर्ताओं ने वैक्सीन के फायदों पर ज़ोर डालते हुए कहा, जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी, उन लोगों में दोनों ही तरह के संक्रमण का खतरा अधिक था.
इस शोध के नतीजे ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी की तरफ से जारी हुई रिपोर्ट को और विश्वस्नीय बनाते हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ओमीक्रॉन का सबवेरिएंट अपने तेजी से फैलने वाले मूल वेरिएंट से भी अधिक संक्रामक है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले महीने कहा था, "जबकि दुनिया में अधिकतर जगह अभी BA.1 का ही संक्रमण अधिक है लेकिन हालिया रुझान बताते हैं कि BA.2 भारत , साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन और डेनमार्क जैसे कुछ देशों में तेजी से पैर पसार रहा है."
इसमें से किसी भी स्टडी में को अभी बाहर के एक्सपर्ट ने नहीं देखा है जैसा कि आम तौर पर इसे पब्लिश करने से पहले होता है. डेनमार्क में यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहेगन, स्टेटिस्टिक्स डेनमार्क, टेकनिकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क और स्टेटेन्स सीरम इंस्टीट्यूट ने मिल कर की थी. दूसरी स्टडी को सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने किया था.