भारत और चीन के सैनिक डोकलाम में आमने-सामने
नई दिल्ली:
चीन के एक अखबार ने दावा किया कि भारत और चीन के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो गया है. वहीं, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दिल्ली के रुख का पता उत्तराखंड और कश्मीर में चीनी सैनिकों के जाने के विरोध से दिखाई दे रहा है. संसद में रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारतीय सेना मजबूत है और सुरक्षा से जुड़ी किसी भी चुनौती से सामना करने के लिए सक्षम है. उन्होंने कहा था कि भारत ने 1962 से काफी कुछ सीखा था. जेटली ने यह भी स्वीकार किया था कि भारत को अभी भी कुछ मामलों में सुधार की गुंजाइश है. उन्होंने कहा था कि कुछ लोग हमारी संप्रभुता और एकता पर निशाना साध रहे हैं, लेकिन भारत के बहादुर जवानों पर हमें पूरा भरोसा है.
जेटली का यह कमेंट तब आया था जब चीन में एक सरकारी अधिकारी ने सिक्किम के करीब डोकलाम में जारी गतिरोध के बाद कहा था कि दोनों के बीच विवाद बढ़ सकता है. बता दें कि डोकलाम भूटान का हिस्सा है जहां पर भारत और चीन की सेना 16 जून से आमने सामने हैं. चीन यहां पर अपना दावा करता है और भारत के लिए यह जगह रणनीतिक रूप से काफी अहम है. चीन यहां पर सड़क निर्माण कर रहा था जिसे भूटान के सैनिकों के विरोध के बाद भी जारी रखा हुआ था और जिसके बाद भारत को भूटान की मदद के लिए आगे आना पड़ा. भारत और भूटान के बीच रणनीतिक साझेदारी का समझौता भी है.
यह भी पढ़ें : भारत को युद्ध की ओर धकेल रहा है पीएम मोदी का सख्त रवैया: चीनी अखबार
भारत ने तनाव कम करने के लिए सुझाव दिया है कि दोनों देश अपने अपने सैनिक वापस बुला लें, लेकिन चीन इस बात पर अड़ा है कि भारत अपने सैनिक वापस बुला ले. चीन का आरोप है कि भारत चीन की जमीन पर कब्जा कर रहा है. चीन का कहना है कि अगर वहां पर एक भी भारतीय जवान है तब भी चीन की संप्रभुता पर हमला है. चीन के सरकारी अधिकारी वांग वेनली का कहना है कि इस मौके पर भारत के साथ बातचीत का कोई सवाल नहीं है. उसका कहना है कि चीन की जनता जानती है कि उसकी सरकार जो भी कर रही है वह सही कर रही है.
यह भी पढ़ें : चीनी सेना के वरिष्ठ कर्नल ने भारत से कहा, 'टकराव से बचना है तो डोकलाम से हटो'
चीन के भारत के साथ युद्ध की संभावना के प्रश्न पर वेनली ने कहा कि पीएलए और चीन की सरकार के निर्णय अटल हैं. उनका कहना है कि अगर भारत गलत रास्ते पर चलते जा रहा है तब चीन को भी अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत कदम उठाने का हक है.
VIDEO : संसद में सुषमा स्वराज का बयान
चीन और भारत दोनों ही यह कह रहे हैं कि मामले को समाप्त करने के लिए रणनीतिक रास्तों की जुगत में हैं.
जेटली का यह कमेंट तब आया था जब चीन में एक सरकारी अधिकारी ने सिक्किम के करीब डोकलाम में जारी गतिरोध के बाद कहा था कि दोनों के बीच विवाद बढ़ सकता है. बता दें कि डोकलाम भूटान का हिस्सा है जहां पर भारत और चीन की सेना 16 जून से आमने सामने हैं. चीन यहां पर अपना दावा करता है और भारत के लिए यह जगह रणनीतिक रूप से काफी अहम है. चीन यहां पर सड़क निर्माण कर रहा था जिसे भूटान के सैनिकों के विरोध के बाद भी जारी रखा हुआ था और जिसके बाद भारत को भूटान की मदद के लिए आगे आना पड़ा. भारत और भूटान के बीच रणनीतिक साझेदारी का समझौता भी है.
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भारत ने तनाव कम करने के लिए सुझाव दिया है कि दोनों देश अपने अपने सैनिक वापस बुला लें, लेकिन चीन इस बात पर अड़ा है कि भारत अपने सैनिक वापस बुला ले. चीन का आरोप है कि भारत चीन की जमीन पर कब्जा कर रहा है. चीन का कहना है कि अगर वहां पर एक भी भारतीय जवान है तब भी चीन की संप्रभुता पर हमला है. चीन के सरकारी अधिकारी वांग वेनली का कहना है कि इस मौके पर भारत के साथ बातचीत का कोई सवाल नहीं है. उसका कहना है कि चीन की जनता जानती है कि उसकी सरकार जो भी कर रही है वह सही कर रही है.
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चीन के भारत के साथ युद्ध की संभावना के प्रश्न पर वेनली ने कहा कि पीएलए और चीन की सरकार के निर्णय अटल हैं. उनका कहना है कि अगर भारत गलत रास्ते पर चलते जा रहा है तब चीन को भी अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत कदम उठाने का हक है.
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चीन और भारत दोनों ही यह कह रहे हैं कि मामले को समाप्त करने के लिए रणनीतिक रास्तों की जुगत में हैं.
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