जे-31 के ताजातरीन वर्शन, जिसका नाम एफसी-31 गाइरफैल्कन रखा गया है, ने शुक्रवार को पहली बार उड़ान भरी
बीजिंग:
चीन ने पांचवीं पीढ़ी के अपने स्टेल्थ लड़ाकू विमानों के ताजातरीन वर्शन का परीक्षण कर लिया है. सरकारी मीडिया ने सोमवार को यह ख़बर देते हुए कहा कि देश दुनिया के आधुनिकतम लड़ाकू विमानों के क्षेत्र में पश्चिमी देशों के एकाधिकार को खत्म करने की कोशिश में है.
यह परीक्षण ऐसे समय में किया गया है, जब चीन पहले से अपनी सैन्य ताकत दिखाने में जुटा हुआ है, और उसने हाल ही में सैन्याभ्यास के लिए अपने एकमात्र विमानवाहक पोत लियाओनिंग को पश्चिमी प्रशांत महासागर में भेजा है.
'चाइना डेली' के अनुसार, जे-31 विमान के इस ताजातरीन वर्शन, जिसका नाम अब एफसी-31 गाइरफैल्कन (FC-31 Gyrfalcon) रखा गया है, ने शुक्रवार को पहली बार उड़ान भरी. दो इंजन वाला तथाकथित 'पांचवीं पीढ़ी' का बताया जा रहा एफसी-31 गाइरफैल्कन अमेरिका के एफ-35 विमान का जवाब बताया जा रहा है, जो तकनीकी रूप से दुनिया का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है.
समाचारपत्र के अनुसार, उड्डयन विशेषज्ञ वू पीक्सिन का कहना है कि नए एफसी-31 स्टेल्थ लड़ाकू विमान में अक्टूबर, 2012 में लॉन्च किए गए पिछले वर्शन की तुलना में "बेहतर स्टेल्थ क्षमता, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा ज़्यादा भारी हथियार ले जाने की क्षमता है..."
वू पीक्सिन ने समाचारपत्र को बताया, "विमान के एयरफ्रेम, पंखों तथा उसकी टेल में बदलाव किए गए हैं, जिनसे यह ज़्यादा पतला, हल्का और आसानी से राह बदलने में सक्षम बन गया है..."
इस विमान का निर्माण शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने किया है, जो एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (एवीआईसी) की सब्सिडियरी कंपनी है.
समाचारपत्र में प्रकाशित आलेख के अनुसार लड़ाकू विमान की कीमत लगभग सात करोड़ अमेरिकी डॉलर रखी जाएगी, ताकि यूरोफाइटर टाइफून जैसे चौथी पीढ़ी के कहीं महंगे विमानों की तुलना में बाज़ार को हथियाया जा सके.
'चाइना डेली' के मुताबिक, एवीआईसी ने कहा है कि एफसी-31 से 'पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट विमानों के बाज़ार पर कुछ देशों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा...'
चीन बेहद तेज़ी से घरेलू हथियार उद्योग को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है, जिसके लिए वह ड्रोन और एन्टी-एयरक्राफ्ट सिस्टमों से लेकर जेट विमानों के इंजन तक देश में ही तैयार कर रहा है.
अतीत में चीन पर रूसी लड़ाकू विमानों के डिज़ाइनों की नकल करने का आरोप लगता रहा है, और कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एफसी-31 काफी हद तक अमेरिकी एफ-35 से मिलता-जुलता है.
पूरा हो जाने के बाद एफसी-31 देश का दूसरा 'पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान' होगा, क्योंकि सिर्फ दो महीने पहले शुहाई एयरशो के दौरान चीन ने पहला 'पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान' जे-20 दुनिया के सामने पेश किया था.
यह परीक्षण ऐसे समय में किया गया है, जब चीन पहले से अपनी सैन्य ताकत दिखाने में जुटा हुआ है, और उसने हाल ही में सैन्याभ्यास के लिए अपने एकमात्र विमानवाहक पोत लियाओनिंग को पश्चिमी प्रशांत महासागर में भेजा है.
'चाइना डेली' के अनुसार, जे-31 विमान के इस ताजातरीन वर्शन, जिसका नाम अब एफसी-31 गाइरफैल्कन (FC-31 Gyrfalcon) रखा गया है, ने शुक्रवार को पहली बार उड़ान भरी. दो इंजन वाला तथाकथित 'पांचवीं पीढ़ी' का बताया जा रहा एफसी-31 गाइरफैल्कन अमेरिका के एफ-35 विमान का जवाब बताया जा रहा है, जो तकनीकी रूप से दुनिया का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है.
समाचारपत्र के अनुसार, उड्डयन विशेषज्ञ वू पीक्सिन का कहना है कि नए एफसी-31 स्टेल्थ लड़ाकू विमान में अक्टूबर, 2012 में लॉन्च किए गए पिछले वर्शन की तुलना में "बेहतर स्टेल्थ क्षमता, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा ज़्यादा भारी हथियार ले जाने की क्षमता है..."
वू पीक्सिन ने समाचारपत्र को बताया, "विमान के एयरफ्रेम, पंखों तथा उसकी टेल में बदलाव किए गए हैं, जिनसे यह ज़्यादा पतला, हल्का और आसानी से राह बदलने में सक्षम बन गया है..."
इस विमान का निर्माण शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने किया है, जो एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (एवीआईसी) की सब्सिडियरी कंपनी है.
समाचारपत्र में प्रकाशित आलेख के अनुसार लड़ाकू विमान की कीमत लगभग सात करोड़ अमेरिकी डॉलर रखी जाएगी, ताकि यूरोफाइटर टाइफून जैसे चौथी पीढ़ी के कहीं महंगे विमानों की तुलना में बाज़ार को हथियाया जा सके.
'चाइना डेली' के मुताबिक, एवीआईसी ने कहा है कि एफसी-31 से 'पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट विमानों के बाज़ार पर कुछ देशों का एकाधिकार खत्म हो जाएगा...'
चीन बेहद तेज़ी से घरेलू हथियार उद्योग को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है, जिसके लिए वह ड्रोन और एन्टी-एयरक्राफ्ट सिस्टमों से लेकर जेट विमानों के इंजन तक देश में ही तैयार कर रहा है.
अतीत में चीन पर रूसी लड़ाकू विमानों के डिज़ाइनों की नकल करने का आरोप लगता रहा है, और कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एफसी-31 काफी हद तक अमेरिकी एफ-35 से मिलता-जुलता है.
पूरा हो जाने के बाद एफसी-31 देश का दूसरा 'पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान' होगा, क्योंकि सिर्फ दो महीने पहले शुहाई एयरशो के दौरान चीन ने पहला 'पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान' जे-20 दुनिया के सामने पेश किया था.
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