
- चीन ने अपनी विक्ट्री परेड में पहली बार एफएच-97 स्टेल्थ तकनीक वाला लॉयल विंगमैन ड्रोन दिखाया
- एफएच-97 ड्रोन रडार से बचने में सक्षम है और इसे विशेष रूप से हवाई लड़ाइयों के लिए डिजाइन किया गया है
- यह ड्रोन सिंगल-इंजन वाला मानव रहित बैटल ड्रोन है जो फाइटर जेट्स के साथ उड़कर इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग भी कर सकता है
China Stealth Drone: चीन ने अपनी विक्ट्री परेड में अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों को अपनी ताकत दिखाई. इस परेड में चीन की खतरनाक मिसाइलें और तमाम हथियार दिखाए गए. परेड में एक खास तरह का ड्रोन भी नजर आया, जिसका शेप अमेरिका के बी-2 बॉम्बर से मिलता जुलता है. इस ड्रोन को देखकर काफी लोग हैरान हैं और जानना चाहते हैं कि आखिर ये कितना खतरनाक है. आइए जानते हैं कि चीन का ये हथियार किस तरह खास है.
क्या है चीन के इस ड्रोन की खासियत?
चीन ने पहली बार अपने ‘loyal wingman' ड्रोन को दुनिया के सामने दिखाया है. ये एक स्टेल्थ टेक्नोलॉजी वाला ड्रोन है, जो किसी भी रडार से बचने में माहिर माना जाता है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक इस ड्रोन को, एफएच-97 या फीहोंग-97 के नाम से भी जाना जाता है. इसे खासतौर पर हवा में लड़ाई के लिए डिजाइन किया गया है, साथ ही इससे दुश्मन के ठिकानों पर भी हमला किया जा सकता है.
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- एफएच-97 एक सिंगल-इंजन, ग्राउंड-अटैक मानव रहित ड्रोन है.
- इसे चीन का पहला बैटल स्टेल्थ ड्रोन है और दुनिया में फिलहाल ऐसा ड्रोन किसी के पास नहीं है.
- फाइटर जेट्स के साथ उड़ते हुए ये ड्रोन दुश्मन को नुकसान पहुंचा सकता है, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग भी कर सकता है.
- चीन ने पानी के नीचे तैरने वाले ड्रोन भी तैयार किए हैं, जिनसे उसकी समुद्री निगरानी में इजाफा हुआ है.
चीन ने दिखाए ये हथियार
लॉयल विंगमैन ड्रोन के अलावा चीन ने अपनी खतरनाक मिसाइलें भी विक्ट्री परेड में उतारीं. इनमें DF-61 मिसाइल और पनडुब्बी से दागी जाने वाली JL-3 भी शामिल थी. डीएफ सीरीज की तमाम मिसाइलों को विक्ट्री परेड में देखा गया. चीन ने अपने टोरपिडो यानी पानी के नीचे से दागी जाने वाली मिसाइलें भी दिखाईं. साथ ही टैंक, एंटी शिप मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम भी विक्ट्री परेड का हिस्सा रहे.
शामिल हुए ये बड़े नेता
चीन की विक्ट्री परेड में दुनिया के बड़े नेता भी शामिल हुए. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की हुई. साथ ही पाकिस्तान के पीएम भी इस परेड में नजर आए. दुनिया की बड़ी परमाणु ताकतों को चीन के साथ कदमताल करते देखना अमेरिका जैसे देशों के लिए परेशानी का सबब है.
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