चीन (China) अपने दोस्त पाकिस्तान (Pakistan) के आतंकियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के काम-काज को प्रभावित कर रहा है और आतंकियों को वैश्विक प्रतिबंध से बचाने में पाकिस्तान का साथ दे रहा है. भारत और अमेरिका मिल कर पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के खतरनाक आतंकवादी के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध लगवाना चाहते थे लेकिन इन प्रस्तावों पर चीन ने टांग अड़ा दी है. जैश के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर पर अगर वैश्विक प्रतिबंध लगते हैं तो उसकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया जा सकता था.
इस तरह के प्रतिबंध के लिए सुरक्षा परिषद की समिति के 15 सदस्यों की सहमति होनी चाहिए, लेकिन एक तरफ सुरक्षा परिषद समति के बाकी सभी स्थाई सदस्य इसके लिए तैयार थे लेकिन चीन ने आखिरी समय पर आंतकवाद को लेकर अपना दोहरा रवैया जगज़ाहिर कर दिया.
कौन है अब्दुल रउफ असगर?
जैश के मोहम्मद का आतंकी अब्दुल रउफ असगर आतंकी सरगना मसूद अज़हर का छोटा भाई है और आतंकी संगठन का डिप्टी चीफ है. वह कई आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार है. जिनमें इंडियन एयरलाइन्स के एयरक्राफ्ट IC814 को 1999 में हाईजैक करना भी शामिल है. साथ ही रउफ असगर 2001 में हुए भारतीय संसद पर हमले में भी शामिल था. राउफ का नाम 2016 में पठानकोट में इंडियन एयर फोर्स बेस पर हुए हमले में भी शामिल था.
अब्दुल रउफ असगर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति 1267 की सूची में डालने के लिए भारत ने एक प्रस्ताव रखा था जिसे अमेरिका ने को-स्पॉन्सर किया था.
चीन ने इस प्रस्ताव को तकनीकी कारण बताते हुए होल्ड पर डाल दिया. बाकी सभी UNSC के 14 सदस्य देशों ने रउफ को आतंकी सूची में डाले जाने का समर्थन किया था.
अब्दुल रहमान मक्की के कारनामे
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने आंतकी सूची में नाम डालने को लेकर दखल डाला हो. जून 2022 में चीन ने लश्कर ए तैयबा के डिप्टी चीफ अब्दुल रहमान मक्की को प्रतिबंध की सूची में डालने पर अडंगा डाल दिया था. मक्की भारत में हमलों के लिए वित्तीय इंतजाम करने, आतंकी भर्ती करने और भारत में हमले के लिए युवाओं को भड़काने में शामिल रहा है. वह 2008 के मुंबई आतंकी हमले में भी शामिल था.
दोनों ही प्रस्तावों के समर्थन में कई सबूत हैं. दोनों आतंकियों पर अमेरिका ने भी प्रतिबंध लगा रखा है.
सूत्रों के मुताबिक़ भारत मानता है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक वजहों से चीन UNSC की प्रतिबंध समिति को अपनी भूमिका नहीं निभाने दे रहा है. चीन की इस हरकत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आतंक के खिलाफ साझा लड़ाई में उसके दोहरे रवैये को सबके सामने ला दिया है.
भारत का मानना है कि पाकिस्तान के आतंकियों के बारे में ऐसे प्रेरित कदमों से चीन ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.
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