
- पाकिस्तान ने साल 2019 में FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए एक्शन प्लान लागू कर जैश पर सख्ती दिखाई थी.
- JeM ने बैंकिंग लेन-देन से हटकर EasyPaisa और SadaPay जैसे डिजिटल वॉलेट्स के जरिए चंदा जुटाना शुरू किया है.
- मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर में JeM के कई ट्रेनिंग कैंप खत्म किए जाने के बावजूद फंडिंग जारी रखी गई है.
साल 2019 में पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए पाकिस्तानी सरकार ने नेशनल एक्शन प्लान लागू किया. इसके तहत पाकिस्तान ने FATF को यह दिखाया कि उसने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) पर सख्ती की है. पाकिस्तान सरकार के अनुसार उसके मरकज को सरकारी नियंत्रण में ले लिया, सरगना मसूद अजहर, उसके भाई रऊफ असगर और छोटे भाई तल्हा अल सैफ के बैंक खातों पर भी नजर रखी जा रही है. सरकार का कहना था कि उसने नकद लेन-देन, चंदा-राशि और फंड जुटाने के तरीकों पर रोक लगाई गई है. सरकार की तरफ से इतनी बातों कर नतीजा था कि साल 2022 में पाकिस्तान औपचारिक तौर पर FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया.
पाकिस्तान बोलता रहा FATF से झूठ
इसके बाद चंदा जुटाने के लिए ISI और JeM ने नया तरीका अपनाया. अब JeM ने EasyPaisa और SadaPay जैसे पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट्स के जरिए चंदा लेना और लेन-देन करना शुरू किया. बैंक खातों के बजाय रकम मसूद अजहर के परिवार के डिजिटल वॉलेट्स में ट्रांसफर होने लगी. इस तरह पाकिस्तान FATF को झूठा भरोसा दिलाता रहा कि बैंकिंग लेन-देन बंद हो गए हैं.
सात मई को भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर' में JeM का मुख्यालय मरकज सुब्हानअल्लाह समेत 4 और ट्रेनिंग कैंप्स को खत्म कर दिया गया था. इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार ने इन ढांचों को फिर से बनाने के लिए फंडिंग का ऐलान किया. अब JeM ने 3.91 अरब PKR (391 करोड़ रुपये) का ऑनलाइन फंडरेजिंग अभियान EasyPaisa पर शुरू किया है, जिसमें 313 नए मरकज बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—Facebook और WhatsApp चैनल्स पर JeM समर्थक खातों और कमांडरों द्वारा पोस्टर, वीडियो और मसूद अज़हर का पत्र जारी किया गया है। इसमें दावा किया गया कि 313 मरकज़ बनाए जाएंगे और हर एक के लिए 1.25 करोड़ PKR की जरूरत होगी. पाकिस्तान और विदेशों में समर्थकों से कुल 3.91 अरब PKR की चंदा राशि भेजने की अपील की गई है.
कौन कर रहा है ऑपरेट
जांच के दौरान JeM के इस ‘मेगा फंडरेजिंग' अभियान की ब्लैंक डोनेशन रसीद भी हाथ लगी. सबूतों से पता चला कि यह राशि अलग-अलग पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट्स में जा रही है. एक SadaPay खाता मसूद अज़हर के भाई तल्हा अल सैफ के नाम पर है, जो हरिपुर जिले के कमांडर आफताब अहमद के मोबाइल नंबर और CNIC से जुड़ा है.
एक अन्य EasyPaisa वॉलेट मसूद अजहर का बेटे अब्दुल्ला अजहर ऑपरेट कर रहा है. खैबर पख़्तूनख़्वा में JeM कमांडर सैयद सफदर शाह भी EasyPaisa वॉलेट से चंदा जमा कर रहा है. कुल मिलाकर 250 से अधिक EasyPaisa वॉलेट्स इस अभियान में सक्रिय बताए जाते हैं.
इसके अलावा, JeM ने मसूद अजहर के भाई तल्हा अल सैफ की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की है. इसमें उसने समर्थकों से 21,000 PKR प्रति व्यक्ति देने की अपील की. इसमें इस साल 20 नए मरकज बनाने का निर्देश भी दिया गया. JeM के पोस्टर्स और वीडियो के अनुसार कुल लक्ष्य 313 मरकज का है.
असल में ये मरकज धार्मिक केंद्र कहे जाते हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल आतंकी ट्रेनिंग और ठिकानों के रूप में होता है. 7 मई को भारत द्वारा निशाना बनाए गए मरकज़ सुब्हानअल्लाह में हथियार प्रशिक्षण और आतंकी आवास दोनों ही चलते थे. हमले में मसूद अजहर का दामाद जमील अहमद, भांजा हमजा जमील और कई और आतंकी ढेर हुए थे.

JeM के कई मरकज—मरकज बिलाल (Muzaffarabad), मरकज अब्बास (कोटली), मरकज तमीम दारी (खैबर पख्तूनख्वां) और कराची स्थित मरकज इफ्ता— आतंकियों के ठिकाने, ट्रेनिंग, बच्चों का ब्रेनवॉश और प्रोपेगैंडा सेंटर के रूप में सक्रिय हैं. कराची का मरकज इफ्ता 1.5 एकड़ में फैला है और वहीं से JeM की प्रकाशन व सोशल मीडिया गतिविधियां संचालित होती हैं.
डिजिटल हवाला मॉडल
JeM फिलहाल 2,000 से अधिक EasyPaisa और SadaPay वॉलेट्स चला रहा है. इनसे न सिर्फ मरकज के लिए, बल्कि गाजा सहायता के नाम पर भी चंदा लिया जाता है. ये वॉलेट्स बैंकिंग नेटवर्क से बाहर काम करते हैं, इसीलिए FATF इन्हें ट्रैक नहीं कर पाता. मसूद अजहर का परिवार 7–8 वॉलेट्स एक साथ उपयोग करता है और हर 3–4 महीने में उन्हें बदल देता है. रकम बड़े वॉलेट्स में जमा होती है और फिर छोटे-छोटे वॉलेट्स में बाँटकर कैश या ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए निकाल ली जाती है. सालाना 800–900 करोड़ PKR इसी तरह ट्रांज़ैक्ट होते हैं.
इस फंड से हथियार, कैंप संचालन, लग्जरी गाड़ियां और मसूद अजहर के परिवार की सुविधाएं चलाई जाती हैं. एक बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आता है. EasyPaisa इस तरह JeM के लिए 'डिजिटल हवाला' का काम करता है. इसके अलावा, मस्जिदों में हर शुक्रवार को भी नकद चंदा लिया जाता है, जिसे गाजा गाजा सहायता बताकर जमा किया जाता है. JeM का अल रहमत ट्रस्ट भी सक्रिय है और हर साल लगभग 10 करोड़ PKR जुटाता है. बैंक खातों और पोस्टरों पर खुलकर ‘जिहाद' के लिए दान की अपील की जाती है.

JeM कुल मिलाकर हर साल 100 करोड़ PKR से अधिक जुटाता है, जिसमें से 50 फीसदी हथियारों पर खर्च होता है. JeM का दावा है कि एक मरकज की लागत 1.25 करोड़ PKR है, लेकिन हकीकत में छोटे मरकज 40–50 लाख PKR में बन जाते हैं. बड़े केंद्र जैसे सुब्हानअल्लाह या उस्मान-ओ-अली पर 10 करोड़ PKR तक खर्च हो सकता है. इस हिसाब से 313 केंद्रों के निर्माण पर 123 करोड़ PKR खर्च होंगे और बाकी रकम हथियारों व नेटवर्क विस्तार पर जाएगी.
क्या है इसका मकसद
विश्लेषकों का मानना है कि JeM के 313 मरकज़ बनाने के पीछे दो उद्देश्य हैं-
- लश्कर-ए-तैयबा की तरह पूरे पाकिस्तान में मरकज़ का विशाल नेटवर्क खड़ा करना ताकि भविष्य में भारत के हमलों का असर कम हो.
- मसूद अजहर और उसके परिवार के लिए सुरक्षित, आलीशान ठिकाने बनाना ताकि वे अपनी मौजूदगी से इंकार कर सकें.
3.91 अरब PKR का यह अभियान आने वाले दशक तक JeM के आतंक और हथियारों की सप्लाई लाइन को मजबूती देकर उसे और खतरनाक बना सकता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं