
- पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद सूची में केवल मुस्लिमों के नाम होने पर नाराजगी जताई.
- पाकिस्तान ने इस्लाम और मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ने को खतरनाक और गलत ठहराते हुए निंदा की है.
- पाकिस्तान का दावा है कि गैर-मुसलमानों के हिंसक कृत्यों को आतंकवाद के बजाय अक्सर हिंसक अपराध माना जाता है.
पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में बिफर पड़ा है. उसने अपनी नाराजगी की वजह यह बताई है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकियों की जो लिस्ट है, उसमें एक भी गैर-मुस्लिम नाम नहीं हैं. UNSC में पाकिस्तान ने इस्लाम और मुसलमानों को खतरनाक रूप से कलंकित करने का आरोप लगाकर निंदा की है.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार ने "आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा" विषय पर बोलते हुए यह बात कही. UNSC की बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "यह समझ में नहीं आता है, और वास्तव में अस्वीकार्य है, कि सुरक्षा परिषद की आतंकवाद सूची में हर नाम मुस्लिम है. जबकि अन्य जगहों पर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी जांच से बच जाते हैं. लिस्ट में कोई गैर-मुस्लिम नहीं है."
“गैर-मुसलमान करे तो आतंकवाद नहीं, हिंसक अपराध कहा जाता है”
पाकिस्तान ने UNSC में कहा कि "हमें वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए. दुनिया के कई देशों और क्षेत्रों में दक्षिणपंथी, चरमपंथी और फासीवादी आंदोलनों का उदय हुआ है, जिससे आतंकवादी हिंसा बढ़ रही है… लेकिन हम गैर-मुसलमानों के द्वारा किए गए कृत्यों को आतंकवाद के रूप में नहीं, बल्कि अक्सर हिंसक अपराध के रूप में देखने को लेकर मजबूत झुकाव देखते हैं."
आतंकवाद पर खुद की पीठ भी खुद ही थपथपाई
पाकिस्तान के दूत ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामाबाद आतंकवाद के सभी रूप की निंदा करता है. उन्होंने यहां तक दावा किया कि केवल कुछ देशों ने आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तान से अधिक काम किया है.
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान दोनों मामलों में सबसे आगे रहा है. हमने (आतंकवाद की वजह से) 80,000 लोगों को खोया है और हमारी अर्थव्यवस्था को सैकड़ों अरब डॉलर के नुकसान हुआ है. पाकिस्तान के बलिदान बेजोड़ हैं. इस खतरे को खत्म करने का हमारा संकल्प भी अतुलनीय है."
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