
- लाहौर में टीएलपी के इजरायल विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम पांच लोग मारे गए हैं.
- पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पेट्रोल बम, नुकीले डंडों और गोलीबारी का आरोप लगाया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए.
- टीएलपी का दावा है कि पुलिस ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें उसके कई समर्थक मारे और घायल हुए हैं.
पाकिस्तान का लाहौर फिर से सुलग रहा है और इस बार वजह है इजरायल के विरोध में हुए प्रदर्शन. सोमवार को इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्यों और गाजा पर युद्ध को लेकर इजरायल के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान देश के सबसे बिजी हाइवे में से एक पर सुरक्षाकर्मियों की झड़प हुई. इस झड़प में अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई है जिसमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. सोशल मीडिया पर चल रहे कई वीडियोज में शहर की हकीकत पता लग रही है. टीएलपी के कई हिंसक सड़क विरोध प्रदर्शनों ने कई पाकिस्तानी सरकारों को परेशान किया है.
मुरीदके में लाठीचार्ज
सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इजिप्ट के शर्म-अल-शेख में मौजूद थे. वह यहां पर एक तरफ तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को सराह रहे थे और उनकी शान में कसीदे पढ़ रहे थे तो दूसरी तरफ उनके अपने ही देश में तूफान आया हुआ था. लाहौर में सोमवार को पुलिस ने मुरीदके में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए एक अभियान चलाया. इसके बाद एक हिंसक झड़प हुई. पंजाब पुलिस ने कहा कि हथियारों से लैस संगठनों ने सुरक्षाकर्मियों पर गोलीबारी की. इसमें एक स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) की मौत हो गई और 48 पुलिस अधिकारी घायल हो गए जिनमें से 17 को गोलियां लगीं हैं. वहीं हिंसा में कम से कम तीन टीएलपी सदस्य भी मारे गए.
अंधाधुंध फायरिंग का आरोप
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश में नुकीले डंडों, पेट्रोल बमों और गोला-बारूद का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. वहीं टीएलपी ने पुलिस और पाकिस्तानी रेंजर्स पर 'अंधाधुंध' गोलीबारी करने की बात कही है. उसका कहना है कि इस कार्रवाई में उसके कम से कम 11 समर्थक मारे गए हैं और दर्जनों अन्य घायल हो गए.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, टीएलपी नेता हाफिज साद हुसैन रिजवी को भी कई गोलियां मारी गईं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में, पंजाब सरकार ने कहा, 'जब राज्य अपनी हुक्मरानी लागू करता है तो ये नकाबपोश अपराधी पीड़ितों की भूमिका निभाने का नाटक करते हैं लेकिन राज्य कमजोर नहीं है.' वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने विरोध प्रदर्शनों को 'धर्म का अपमान' बताया.
पाक रक्षा मंत्री की 'नसीहत'
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'धर्म के नाम पर सशस्त्र समूह बनाना, सड़कें जाम करना और जनता को बंधक बनाना धर्म का अपमान है. दो साल तक गाजा में अत्याचार और खून-खराबे का दौर चला, फिर भी किसी को कोई विरोध प्रदर्शन याद नहीं है. जब वहां युद्धविराम हुआ तब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. अब समय आ गया है कि धर्म के नाम पर हिंसा के जरिए हमारे समाज को बंधक बनाना बंद किया जाए.'
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए एक सीजफायर समझौते का ऐलान किया था. इसके बाद संगठन की तरफ से एक मार्च बुलाया गया था. लेकिन ये मार्च हिंसक हो गए और कई हिंसक झड़पे हुईं. ये झड़पें लाहौर से राजधानी इस्लामाबाद तक करीब 400 किलोमीटर दूर, ग्रैंड ट्रंक रोड पर टीएलपी के मार्च के दौरान हुईं. यह मार्च शुक्रवार को शुरू हुआ था जिसमें टीएलपी सदस्यों ने अमेरिकी दूतावास के बाहर फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन करने की कसम खाई थी.
दूतावास की तरफ से मार्च से पहले एक एडवाइजरी जारी की गई थी. इस एडवाइजरी में संभावित रुकावटों को लेकर आगाह किया गया था. साथ ही अमेरिकी नागरिकों से सतर्क रहने का अपील की गई थी. तनाव के हिंसक होने की आशंका के चलते, पंजाब सरकार ने हाइवे को ब्लॉक कर दिया था. शहर के एंट्री प्वाइंट्स सील कर दिए गए थे और जुलूस को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया गया था. इसके चलते कई जगहों पर टीएलपी सदस्यों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें हुईं.
दो दिन से मुरीदके में 'धरना'
झड़पों के बावजूद, हजारों टीएलपी सदस्य राजधानी की ओर अपने मार्च पर आगे बढ़े. ये सभी इस्लामाबाद से करीब 370 किलोमीटर दूर मुरीदके में दो दिनों से डेरा डाले हुए थे. टीएलपी का मुख्य जुलूस शनिवार को पुलिस बैरिकेड्स तोड़ते हुए मुरीदके पहुंचा था. लाहौर में हुई यह अब तक की सबसे भीषण झड़प है जिसमें 100 से ज्यादा पुलिस अधिकारी घायल हो गए है और कई की तो हालत गंभीर बताई जा रही है. इनमें से कई की हालत गंभीर है. रविवार शाम तक ऐसी रिपोर्ट्स आईं कि टीएलपी चीफ साद हुसैन रिजवी ने अपने समर्थकों से शांत रहने की अपील की है.
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