सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज दलवीर भंडारी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पांचवी सीट हासिल करने में कामयाब हुए.
नई दिल्ली:
भारत के दलवीर भंडारी आखिरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे ) के लिए चुन लिए गए. ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को इस मुकाबले से हटाकर अपने कदम वापस खींच लिए. आईसीजे की आखिरी सीट के लिए मतदान आज रात को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में आयोजित किया गया. वर्ष 1945 में स्थापित आईसीजे में ऐसा पहली बार हुआ जब इसमें कोई ब्रिटिश न्यायाधीश नहीं होगा.
अपने उम्मीदवार को दौड़ से बाहर करते हुए ब्रिटिश राजदूत ने कहा कि "चुनाव के अगले चरण के लिए सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा का मूल्यवान समय बर्बाद करना गलत है."
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आईसीजे चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों में बहुमत प्राप्त करने की जरूरत होती है. इस मामले में पहले 11 राउंड में मतदान नहीं हुआ था इसलिए 12 वें राउंड की आवश्यकता पड़ी. आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ का एक तिहाई हिस्सा नौ साल की अवधि के लिए हर तीन साल में चुना जाता है. गत 9 नवंबर को यूएनजीए और सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पांच सीटों में से चार के लिए जजों की चुनाव कर लिया था. भारत और ब्रिटेन के उम्मीदवारों में से चुनाव अब तक नहीं हो सका था.
पर्यवेक्षकों का आकलन है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत की अंतिम सीट के लिए भारतीय प्रत्याशी दलवीर भंडारी के चुनाव से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य सकते में हैं. इससे उनकी शक्ति को चुनौती मिल सकती है. भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में पुन: चुनाव के लिए कड़े मुकाबले की स्थिति थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ग्रीनवुड के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे थे. सुरक्षा परिषद का पांचवां स्थाई सदस्य ब्रिटेन है.
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पहले के 11 दौर के चुनाव में भंडारी को महासभा के करीब दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिला, लेकिन सुरक्षा परिषद में वे ग्रीनवुड के मुकाबले तीन मतों से पीछे थे. 12वें दौर का चुनाव आज होना था और इस चुनाव से पहले ही ब्रिटेन ने अपने कदम खींच लिए.
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विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ अनौपचारिक परामर्श में संयुक्त सम्मेलन प्रणाली के विचार पर विमर्श किया. माना जाता है कि ब्रिटेन को डर था कि कहीं भारत ने दो तिहाई मत हासिल कर लिए तो सुरक्षा परिषद के लिए भारत के प्रत्याशी को आईसीजे में निर्वाचित होने से रोकना बहुत मुश्किल होगा. हालांकि ऐन वक्त पर ब्रिटेन ने खुद ही मैदान छोड़ दिया और भारत के दलवीर भंडारी का रास्ता साफ हो गया. बहरहाल भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है.
अपने उम्मीदवार को दौड़ से बाहर करते हुए ब्रिटिश राजदूत ने कहा कि "चुनाव के अगले चरण के लिए सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा का मूल्यवान समय बर्बाद करना गलत है."
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आईसीजे चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों में बहुमत प्राप्त करने की जरूरत होती है. इस मामले में पहले 11 राउंड में मतदान नहीं हुआ था इसलिए 12 वें राउंड की आवश्यकता पड़ी. आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ का एक तिहाई हिस्सा नौ साल की अवधि के लिए हर तीन साल में चुना जाता है. गत 9 नवंबर को यूएनजीए और सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पांच सीटों में से चार के लिए जजों की चुनाव कर लिया था. भारत और ब्रिटेन के उम्मीदवारों में से चुनाव अब तक नहीं हो सका था.
पर्यवेक्षकों का आकलन है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत की अंतिम सीट के लिए भारतीय प्रत्याशी दलवीर भंडारी के चुनाव से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य सकते में हैं. इससे उनकी शक्ति को चुनौती मिल सकती है. भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में पुन: चुनाव के लिए कड़े मुकाबले की स्थिति थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ग्रीनवुड के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे थे. सुरक्षा परिषद का पांचवां स्थाई सदस्य ब्रिटेन है.
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पहले के 11 दौर के चुनाव में भंडारी को महासभा के करीब दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिला, लेकिन सुरक्षा परिषद में वे ग्रीनवुड के मुकाबले तीन मतों से पीछे थे. 12वें दौर का चुनाव आज होना था और इस चुनाव से पहले ही ब्रिटेन ने अपने कदम खींच लिए.
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विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ अनौपचारिक परामर्श में संयुक्त सम्मेलन प्रणाली के विचार पर विमर्श किया. माना जाता है कि ब्रिटेन को डर था कि कहीं भारत ने दो तिहाई मत हासिल कर लिए तो सुरक्षा परिषद के लिए भारत के प्रत्याशी को आईसीजे में निर्वाचित होने से रोकना बहुत मुश्किल होगा. हालांकि ऐन वक्त पर ब्रिटेन ने खुद ही मैदान छोड़ दिया और भारत के दलवीर भंडारी का रास्ता साफ हो गया. बहरहाल भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है.
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