वाशिंगटन:
अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देशभर में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने और राज्यों को इस तरह के विवाह पर पाबंदी नहीं लगाने के निर्देश के एक सप्ताह बाद लुसियाना प्रांत के भारतीय मूल के अमेरिकी गवर्नर बॉबी जिंदल को इसे स्वीकार करना पड़ा है। जिंदल समलैंगिक विवाह के खिलाफ हैं और इसे समर्थन देने के मामले में वे राष्ट्रपति बराक ओबामा और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन तक की आलोचना कर चुके हैं।
हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जिंदल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक विवाह के फैसले से सहमत नहीं हैं, लेकिन राज्य में समलैंगिक विवाह पर पाबंदी को बनाए रखने के लिए उनके पास कोई कानूनी मार्ग नहीं बचा है, क्योंकि राज्य की निचली संघीय अदालत ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
अदालत के फैसले के बाद लुसियाना के अधिकारियों ने गुरुवार को राज्य में समलैंगिक विवाह पर पाबंदी हटाकर विवाह लाइसेंसों को जारी करना शुरू कर दिया। जिंदल के प्रवक्ता माइक रीड ने गुरुवार को 'बजफीड न्यूज' को बताया कि अदालत ने राज्य की एजेंसियों को इसका लाभ सभी को पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले जिंदल ने अदालत के इस फैसले से असहमति जताते हुए इसे ईसाइयों की धार्मिक आजादी के अधिकार के खिलाफ बताया था।
जिंदल के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि पांचवे सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के लागू होने तक लुसियाना की नीतियों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिसकी वजह से अधिकारी धार्मिक आधारों पर समलैंगिक जोड़ों को विवाह लाइसेंस जारी करने से इंकार कर सकते हैं। जिदल के कार्यालय के मुताबिक, "यदि इस मामले में राज्य का कोई कर्मचारी या अधिकारी धार्मिक आपत्ति दर्ज कराता है तो ऐसे कई वकील हैं, जो उनके अधिकारों का बचाव करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
हालांकि, जिंदल ने रविवार को समाचार चैनल 'एनबीसी' पर स्वीकार किया था कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है और हमारी एजेंसियां अदालत के आदेश का पालन करेगी। इसके बाद बुधवार को लुसियाना, मिसिसिपी और टेक्सास की पांचवी सर्किट जिला अदालतों ने समलैंगिक विवाह से प्रतिबंध हटाने के आदेश दिए थे।
हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जिंदल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक विवाह के फैसले से सहमत नहीं हैं, लेकिन राज्य में समलैंगिक विवाह पर पाबंदी को बनाए रखने के लिए उनके पास कोई कानूनी मार्ग नहीं बचा है, क्योंकि राज्य की निचली संघीय अदालत ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
अदालत के फैसले के बाद लुसियाना के अधिकारियों ने गुरुवार को राज्य में समलैंगिक विवाह पर पाबंदी हटाकर विवाह लाइसेंसों को जारी करना शुरू कर दिया। जिंदल के प्रवक्ता माइक रीड ने गुरुवार को 'बजफीड न्यूज' को बताया कि अदालत ने राज्य की एजेंसियों को इसका लाभ सभी को पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले जिंदल ने अदालत के इस फैसले से असहमति जताते हुए इसे ईसाइयों की धार्मिक आजादी के अधिकार के खिलाफ बताया था।
जिंदल के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि पांचवे सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के लागू होने तक लुसियाना की नीतियों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिसकी वजह से अधिकारी धार्मिक आधारों पर समलैंगिक जोड़ों को विवाह लाइसेंस जारी करने से इंकार कर सकते हैं। जिदल के कार्यालय के मुताबिक, "यदि इस मामले में राज्य का कोई कर्मचारी या अधिकारी धार्मिक आपत्ति दर्ज कराता है तो ऐसे कई वकील हैं, जो उनके अधिकारों का बचाव करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
हालांकि, जिंदल ने रविवार को समाचार चैनल 'एनबीसी' पर स्वीकार किया था कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है और हमारी एजेंसियां अदालत के आदेश का पालन करेगी। इसके बाद बुधवार को लुसियाना, मिसिसिपी और टेक्सास की पांचवी सर्किट जिला अदालतों ने समलैंगिक विवाह से प्रतिबंध हटाने के आदेश दिए थे।
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