
- उत्तर प्रदेश सरकार ने कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों को नजदीकी स्कूलों के साथ जोड़ने का मर्जर निर्णय लिया है.
- मर्जर के बाद खाली हुए स्कूलों को बाल वाटिका में बदला जाएगा, जहां 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे पढ़ेंगे.
- 15 अगस्त से लगभग तीन हजार बाल वाटिकाएं शुरू होंगी, जो बच्चों को स्कूल जैसा माहौल और शिक्षा प्रदान करेंगी.
उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर का विवाद अभी थमा नहीं है. योगी सरकार ने कम छात्रों वाले स्कूलों को नजदीकी स्कूलों के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है, जिसे 'पेयरिंग' कहा जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने इस फैसले के खिलाफ 'PDA पाठशाला' शुरू की है, जिसके कारण पार्टी नेताओं पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्कूल मर्जर के फैसले पर अडिग हैं और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 'बाल वाटिका' नामक नई योजना शुरू करने जा रहे हैं.
शिक्षा विभाग के साथ बैठक के बाद घोषणा की गई कि मर्जर के बाद खाली होने वाले स्कूलों को बाल वाटिका में बदला जाएगा. 15 अगस्त से उत्तर प्रदेश में लगभग 3,000 बाल वाटिकाएं शुरू होंगी, जो स्कूलों जैसे होंगी. नई शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का स्कूलों में दाखिला प्रतिबंधित है. ऐसे बच्चों को बाल वाटिकाओं में पढ़ाया जाएगा.
स्वतंत्रता दिवस पर बाल वाटिकाओं में स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी और अभिभावक शामिल होंगे, जो बच्चों का हौसला बढ़ाएंगे. इन कार्यक्रमों में बाल वाटिका के महत्व, प्रारंभिक शिक्षा के लाभ और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि यह पहल शिक्षा की नींव को मजबूत करेगी और बच्चों को रचनात्मक, आत्मविश्वासी और जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद करेगी.
एनडीटीवी से बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बाल वाटिकाएं बच्चों को स्कूल के लिए मानसिक रूप से तैयार करेंगी. उन्होंने बताया कि कुछ सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है और कुछ की इमारतें जर्जर हैं. ऐसे स्कूलों को बाल वाटिका में बदला जा रहा है, जो शिक्षा का नया मॉडल है. इनमें बच्चों को घर जैसा माहौल, पौष्टिक भोजन और खेलने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि मिड-डे मील में अब तक खिचड़ी दी जाती थी, लेकिन अब बच्चों को उनकी पसंद का भोजन मिलेगा. साथ ही, उन्हें छोटी-छोटी बातें, जैसे हाथ धोना, सिखाई जाएंगी.
यूपी सरकार बाल वाटिकाओं को 'हर सुविधा, हर मुस्कान' के फार्मूले पर तैयार कर रही है. इनमें बच्चों की सुविधा के लिए उपयुक्त फर्नीचर और लर्निंग कॉर्नर बनाए जा रहे हैं. शिक्षकों, शिक्षा मित्रों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि 3 से 6 वर्ष के बच्चों को 'स्कूल रेडी' बनाया जा सके और उनके पोषण का पूरा ध्यान रखा जाए.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं