
- नागपुर के भोसले परिवार की ऐतिहासिक तलवार को राज्य सरकार ने 29 अप्रैल को खरीदकर अपना स्वामित्व प्राप्त किया.
- मंत्री आशीष शेलार ने लंदन में तलवार का स्वामित्व स्वीकार कर सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कीं
- तलवार मराठा शैली की फिरंगी तलवार का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें एकधारी ब्लेड और सोने की नक्काशी प्रमुख हैं.
नागपुर के भोसले परिवार के संस्थापक रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार नीलामी के लिए रखी गई थी. 29 अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा इसे खरीदने के बाद सोमवार को इसका वास्तविक स्वामित्व राज्य सरकार के पास आ गया है. राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने लंदन में इस तलवार का स्वामित्व स्वीकार कर लिया. कुछ तकनीकी कारणों से इसे एक मध्यस्थ के माध्यम से खरीदना पड़ा, लेकिन अब उन्होंने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे अपने स्वामित्व में ले लिया है. अब यह तलवार जल्द ही महाराष्ट्र आएगी और इसका स्थायी स्वामित्व राज्य सरकार के पास रहेगा.

प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि हमें विशेष रूप से खुशी है कि यह तलवार अब आधिकारिक रूप से राज्य सरकार के स्वामित्व में आ गई है. मैं सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई देता हूं जिन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की.

छत्रपति शाहू महाराज ने रघुजी भोसले को 'सेनासाहिबसुभा' की उपाधि दी थी. रघुजी भोसले ने कई युद्ध अभियानों का नेतृत्व किया और मराठा साम्राज्य का विस्तार बंगाल और ओडिशा तक किया. उन्होंने दक्षिण भारत में भी अपना सैन्य और राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित किया.

यह तलवार मराठा शैली की फिरंगी तलवार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. एकधारी ब्लेड और सोने की नक्काशी इस तलवार की खासियत हैं. उस समय यूरोपीय निर्मित तलवारें प्रसिद्ध थीं. इस तलवार के पीछे नीचे की ओर सोने के पानी से 'श्रीमंत राघोजी भोसले सेनासाहिबसुभा' लिखा हुआ है.
1817 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने नागपुर में भोसले के खजाने को लूटा था. विशेषज्ञों का मानना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी यह तलवार अपने साथ लेकर चली गई.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं