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भाजपा ने अमेरिका को तालिबान के साथ शांति वार्ता को लेकर सचेत करते हुए कहा कि इस आतंकी संगठन का व्यवहार बदलने की उम्मीद नहीं है और ऐसे में सुलह का यह प्रयास बेकार ही साबित होगा।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा, अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक नेतृत्व को कमजोर करने के इरादे से इसे दोबारा ‘इस्लामिक अमीरात’ का दर्जा दिलाने के इच्छुक तत्वों के साथ वार्ता को लेकर उत्सुकता इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं होगी। राजनाथ कैपिटल हिल में ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्ट्डीज’, ‘यूएस इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ और ‘अमेरिकन फॉरेन पॉलिसी काउंसिल’ की ओर से अफगानिस्तान पर संयुक्त रूप से आयोजित एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
सिंह ने कहा, पाकिस्तानी सेना की मदद से अगर तालिबान के साथ यह वार्ता आगे बढ़ाई जाती है, जैसे की यह प्रतीत होता है तो हालात और भी खतरनाक हो जाएंगे। ऐसे में कई लोग कहेंगे कि अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में लेने की यह पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक महत्वकांक्षा है, जो कि वहां के टकराव की मूल वजह है।
भाजपा अध्यक्ष ने सचेत किया कि वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था की जगह अधिनायकवादी और सांप्रदायिक तालिबानी शासन लाने का कोई भी प्रयास न सिर्फ अफगानिस्तान के लोगों और उसके पड़ोसियों बल्कि भारत, रूस, चीन और यहां तक कि अमेरिका के लिए भी नुकसानदेह साबित होगा।
उन्होंने कहा, पूरी दुनिया का ही यह अनुभव रहा है कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती। अंग्रेजी में भाषण दे रहे सिंह ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच की वहां प्रतिद्वंद्विता को एक बार फिर से अफगान संघर्ष का असली कारण बताने की कोशिश की जा रही है, जो अफसोसनाक बात है।
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