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PAK बड़ा खुश होगा? बांग्लादेश में सत्ता संभाल रहे यूनुस का 'SAARC' वाला सपना क्या है?

बांग्लादेश की नई सरकार में सर्वेसर्वा के तौर पर काम करने जा रहे मुहम्मद यूनुस ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा कि वह चाहेंगे कि आने वाले समय में सार्क के तमाम देशों में एक बार फिर मित्रता पूर्ण संबंध स्थापित हो सकें.

PAK बड़ा खुश होगा? बांग्लादेश में सत्ता संभाल रहे यूनुस का 'SAARC' वाला सपना क्या है?
मुहम्मद यूनुस ने सार्क देशों से मित्रता पूर्ण संबंध होने की बात कही
नई दिल्ली:

बांग्लादेश में बीते दिनों हुए तख्तापलट के बाद गुरुवार की शाम नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस नई सरकार का गठन करने जा रहे हैं. यह सरकार अंतरिम सरकार के तौर पर काम करेगी और इसे सेना का भी समर्थन हासिल होगा. मुहम्मद यूनुस गुरुवार की शाम आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पहले शपथ लेंगे और उसके बाद सरकार संभालेंगे. नई सरकार की बागडोर संभालने से पहले मुहम्मद यूनुस का एक बयान इन दिनों चर्चाओं में बना हुआ है. दरअसल, उन्होंने बीते दिनों अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से की बातचीत के दौरान SAARC देशों को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. उन्होंने इस साक्षात्कार में कहा था कि वह चाहेंगे कि सभी SAARC देशों में मित्रता बनी रही. आपको बता दें कि SAARC दक्षिण एशियाई देशों का एक समूह है. इसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीप, भूटान, अफगानिस्तान और नेपाल जैसे देश शामिल हैं. भारत ने पाकिस्तान पर इस मंच का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए पहले के मुकाबले इस संगठन को तवज्जो देना कम कर दिया. 

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इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में मुहम्मद यूनुस ने आगे कहा कि हम सभी सदस्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं. हम एक परिवार की तरह महसूस करना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि एक दूसरे की संगति का आनंद ले सकें, ठीक वैसे ही जैसे यूरोपिय संघ के तहत आने वाले देश लेते हैं. हम एक परिवार की तरह हैं. 

यूनुस खान ने इस साक्षात्कार के दौरान बांग्लादेश में बीते कुछ महीनों से जारी हिंसा को लेकर भारत के रुख पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है उसे लेकर भारत ने जो कुछ भी कहा है मैं उससे सहमत नहीं हूं. भारत कहता है कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है. ये सुनकर मुझे दुख होता है, आखिर किसी भाई के घर में आग लगी है तो मैं कैसे कह सकता हूं कि यह उनका अंदरूनी मामला है. 

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मुम्मद यूनुस के इस बयान के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यूनुस का यह बयान उनके द्वारा भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की आहट को अभी से ही बता रहा है. उनके इस बयान से ये तो साफ है कि वह सार्क देशों का नाम लेकर भारत के अलावा अन्य देशों जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है, से अपनी नजदीकियां बढ़ाने की कोशिशों में जुट गए हैं. 

पाकिस्तान से नजदीकी कहीं चीन के लिए मौका तो नहीं ? 

सार्क देशों को लेकर जो बयान मुहम्मद यूनुस ने दिया है उससे चीन भी बेहद खुश हो रहा होगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सार्क देशों से मित्रता की अपनी बात को साबित करने के लिए अगर बांग्लादेश पाकिस्तान से अपनी नजदीकियां बढ़ाता है तो इससे वह चीन के भी करीब पहुंच सकता है. आपको बता दें कि चीन बीते लंबे समय से बांग्लादेश में घुसने की तैयारी कर रहा है. लेकिन शेख हसीना सरकार के रहते उसका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाया था. 

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क्या अब श्रीलंका की 'राह' पर चेलगा बांग्लादेश?

सार्क देशों से दोस्ती करने और बेहतर संबंध स्थापित करने की मंशा रखने वाले बांग्लादेश की नई सरकार के सर्वेसर्वा मुहम्मद यूनुस क्या अपने देश को श्रीलंका की राह पर ले जाने की तैयारी में है. ये एक बड़ा सवाल है. हालांकि, इसे लेकर अभी से ही कुछ भी साफ तौर पर कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी. लेकिन जिस तरह से सार्क देशों के सहारे वह पाकिस्तान के करीब जाने की कोशिशों में अभी से जुट गए हैं, वो ये साफ बताता है कि आने वाले समय में चीन बांग्लादेश में एक बार फिर अपना सैन्य बेस बनाने पर विचार कर सकता है.

ऐसा हुआ तो चीन ने जो 'खेल' श्रीलंका में खेला था, वह वही खेल बांग्लादेश में भी खेल सकता है. आपको बता दें कि चीन अपने इस 'खेल' के तहत पहले किसी देश में अपना बेस बनाने के लिए उस देश को बेहिसाब कर्ज देता है और जब वह देश उस कर्ज का तय समय पर भुगतान नहीं कर पाता तो वहां अपना बेस बनाते हुए वहां के बंदरगाह पर अपना कब्ज कर लेता है. यही 'खेल' चीन पहले श्रीलंका में भी खेल चुका है.

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 SAARC सम्मेलन में एस जयशंकर के बयान की आज भी है चर्चा 

आपको बता दें कि भारत ने कहा था कि पाकिस्तान जिस तरह से SAARC के मंच का दुरुपयोग कर रहा है वह चिंता जनक है.. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्क को लेकर एक बयान दिया था, इसमें उन्होंने कहा था कि इसमें (सार्क) कई दिक्कतें हैं और ये सभी को पता हैं. सार्क में कनेक्टिविटी की गड़बड़ी है. आतंकवाद से इतर भी अगर बात करें तो एक-दूसरे से जुड़ा न रहना भी सार्क देशों को दूर कर रहा है. आपको बता दें कि एस जयशंकर का यह बयान पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति का हिस्सा माना जाता रहा है. 

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