- बांग्लादेश के उच्चायुक्त रेयाज़ हमीदुल्ला को द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा के लिए तत्काल ढाका बुलाया
- बांग्लादेश में फरवरी में आम चुनाव होने वाले हैं और वहां कट्टरपंथी ताकतें मजबूत हो गई हैं
- हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले और हिंसा तेज हुई है, जिसका भारत ने पुरजोर विरोध किया है
भारत और बांग्लादेश के तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के बीच एक बड़ी खबर है. भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रेयाज अपने विदेश मंत्रालय से मिले अर्जेन्ट बुलावे के बाद बीते रात ढाका पहुंच गए हैं. बांग्लादेशी अखबार प्रोथोम अलो ने बताया, "भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में हालिया स्थिति को देखते हुए, नई दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त एम रेयाज़ हमीदुल्ला को तत्काल आधार पर ढाका बुलाया गया है."
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के ऑफिस में एक अज्ञात "जिम्मेदार स्रोत" का हवाला देते हुए अखबार ने कहा कि बुलावा मिलने के बाद हमीदुल्ला सोमवार, 29 दिसंबर की रात ढाका पहुंच गए. रिपोर्ट में कहा गया है, "द्विपक्षीय संबंधों की हालिया स्थिति पर चर्चा के लिए उन्हें ढाका बुलाया गया है."
दरअसल बांग्लादेश के अंदर फरवरी में आम चुनाव होने हैं और शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद वहां कट्टरपंथी ताकतें मजबूत हो गई हैं. हाल ही में वहां हत्याएं, हिंसा और सबसे बढ़कर अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गए हैं. जब बांग्लादेश में दीपू दास नाम के हिंदू युवक की भीड़ ने मॉब लिंचिंग में जान ले ली तो इसका विरोध पूरी दुनिया में देखने को मिला. भारत भी लगातार आधिकारिक रूप से बांग्लादेश के सामने अपनी चिंताएं रखता रहा है जबकि दूसरी तरफ बांग्लादेश इसपर ध्यान न देकर भारत से बस "शेख हसीना को कब लौटाओगे" वाला सवाल पूछ रहा है. इस स्थिति ने दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ाने का काम किया है.
बांग्लादेश में बढ़ते इस्लामी चरमपंथ से वैश्विक स्थिरता को खतरा: एक्सपर्ट
फिर से इस्लामी चरमपंथ की ओर बांग्लादेश का झुकाव न केवल उसे नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि यह हिंसा यूरोपीय सड़कों पर फैल सकती है. अगर ध्यान नहीं दिया गया तो दुनिया भर में इजरायल और यहूदी समुदायों को निशाना बनाया जा सकता है. बांग्लादेश में बढ़ते इस्लामी चरमपंथ से वैश्विक स्थिरता को खतरा है. सोमवार को यह दावा एक विस्तृत रिपोर्ट में एक्सपर्ट ने किया.
इटालियन राजनीतिक सलाहकार, लेखक और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ सर्जियो रेस्टेली ने 'टाइम्स ऑफ इज़राइल' में लिखा, "वर्षों से, पश्चिमी नीति निर्माताओं द्वारा बांग्लादेश को इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक परिधीय चिंता के रूप में माना जाता था - बहुत दूर, बहुत अंदर की ओर देखने वाला, रणनीतिक रूप से मायने रखने के लिए घरेलू राजनीति में इतना व्यस्त. लेकिन नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के 'अंतरिम' शासन के तहत यह भ्रम टूट रहा है."
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