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26 साल बाद बांग्लादेश लौट रहे खालिदा के बेटे तारिक रहमान, जानिए भारत के लिए क्यों टेंशन

Bangladesh Politics: BNP के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने फरवरी 2026 के आम चुनावों के लिए बांग्लादेश लौटने की पुष्टि कर दी है.

26 साल बाद बांग्लादेश लौट रहे खालिदा के बेटे तारिक रहमान, जानिए भारत के लिए क्यों टेंशन

बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा अहम मोड़ आने वाला है. जिस व्यक्ति को बांग्लादेश का अगला प्रधान मंत्री माना जा रहा है, उसने दो दशक बांग्लादेश के बाहर निर्वासित जीवन बीताने के बाद चुनाव लड़ने के लिए वापस बांग्लादेश आने का ऐलान कर दिया है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने बीबीसी बांग्ला से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है. इस रिपोर्ट के अनुसार तारिक रहमान ने कहा है, "समय आ गया है, उपर वाले ने चाहा तो मैं जल्द ही लौटूंगा."

PM रेस में सबसे आगे खालिदा जिया का बेटा

2024 में हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरा दी गई थी. हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत भागना पड़ा और बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी. अब वो अगले साल यानी 2026 के फरवरी में आम चुनाव कराने जा रही है जहां शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को शायद ही चुनाव लड़ने दिया जाए. ऐसे में चुनाव जीतने की रेस में BNP सबसे आगे है. जैसा माहौल दिख रहा है अगर BNP चुनाव जीतती है तो उसकी बीमार चल रही नेता, 80 साल की खालिद जिया के 58 साल के बेटे तारिक रहमान अगले प्रधान मंत्री बन सकते हैं.

तारिक रहमान 2008 से ही लंदन में रहते हैं. रहमान को 2008 में तत्कालीन सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार ने इलाज के नाम पर लंदन भेज दिया गया था. उन पर कई भ्रष्टाचार और आपराधिक मामले चल रहे थे. उनमें से एक मामले में उन पर 2004 में तत्कालीन विपक्षी नेता शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था, इस आरोप से वह लंबे समय से इनकार करते रहे हैं. तारिक 2008 से ही लंदन में पॉलिटिकल असाइम या राजनीतिक शरण पर रह रहे हैं.

अवामी लीग यानी शेख हसीना पर 15 सालों के शासन के दौरान BNP और अन्य विरोधियों को कंट्रोल में रखने का आरोप लगा है. अब हसीना के तख्तापलट के बाद तारिक रहमान को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. इसके साथ ही तारिक बांग्लादेश लौटने को तैयार हैं. उन्होंने बीबीसी बांग्ला से कहा है कि "यह एक ऐसा चुनाव है जिसका लोग इंतजार कर रहे थे, मैं इस दौरान खुद को दूर नहीं रख सकता." 

क्या तारिक रहमान का कुर्सी पर बैठना भारत के लिए चिंता का विषय

यह अपने आप में एक तथ्य है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का होना भारत के लिए राहत की खबर थी. शेख हसीना पर चाहे तानाशाही के जितने भी आरोप लगे हों, उन्होंने भारत विरोधी तत्वों और धार्मिक कट्टरपंथियों को कंट्रोल में रखा था. उनके सत्ता से हटने के बाद से ही इन दोनों मोर्चों पर भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ हाथ मिलाता नजर आ रहा है, घर के अंदर धार्मिक कट्टरपंथी मजबूत हो गए हैं, अल्पसंख्यकों का शोषण बढ़ गया है. तारिक रहमान के कुर्सी पर आने के बाद स्थिति और खराब हो सकती है, उनकी मां के कार्यकाल में पूरी दुनिया ने ऐसा होते देखा था. 

बांग्लादेश की राजनीति में भारत के साथ संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है. बांग्लादेश अपनी अधिकांश भूमि सीमा भारत के साथ साझा करता है. BNP सहित तमाम राजनीतिक दलों ने अवामी लीग के समर्थन के लिए लगातार दिल्ली की आलोचना की है, जिसमें इसके शासन के दौरान हुए तीन विवादास्पद चुनाव भी शामिल हैं.

अब रहमान ने बीबीसी बांग्ला से कहा, "अगर वे (भारत) एक तानाशाह को शरण देकर बांग्लादेशी लोगों को नाराज करना चाहते हैं, तो हमें इससे कोई लेना-देना नहीं है."

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