विज्ञापन

ईशनिंदा नहीं सर बेटे की नौकरी से जलने वालों से उसकी हत्या कर दी.. दीपू के पिता ने बिलखते हुए NDTV को बताया पूरा सच

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हिंदुओं ने एनडीटीवी से विशेष बातचीत में अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों और चिंताओं को बयान किया. ये हमले कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा किए जा रहे हैं, जिनमें से अधिकांश को जमात-ए-इस्लामी का समर्थन हासिल है.

  • बांग्लादेश के मयमनसिंह में दीपू दास नामक युवक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और शव को टांगकर आग लगा दी
  • दीपू के सहकर्मियों ने उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया, जबकि पुलिस अधिकारियों को उसका कोई सबूत नहीं मिला.
  • दीपू के पिता ने कहा कि नौकरी न मिलने वाले लोगों ने धमकियां दीं, साजिश रची और उसकी हत्या कर दी.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
बांग्लादेश/नई दिल्ली::

'मेरे बेटे को नौकरी मिलने में किस्मत का साथ मिला क्योंकि लॉटरी निकल गई थी. वह बीए पास था और प्रमोशन के लिए भी तैयार था. लेकिन जिन लोगों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने उसकी हत्या की साजिश रची. उन्होंने उसे कई बार जान से मारने की धमकी दी थी, अगर वह उन्हें नौकरी नहीं देता. वह कैसे दे सकता था? इन्हीं लोगों ने फिर मैनेजर के पास जाकर शायद उसे रिश्वत दी. उन्होंने अफवाहें फैलाईं कि दीपू दास ने ईशनिंदा की है.' ये बांग्लादेश में मारे गए हिंदू युवक दीपू के पिता की बिलखती हुई आवाज है. भर्राई हुई आवाज में दीपू के पिता ने एनडीटीवी को पूरी कहानी बताई. इस वक्त एनडीटीवी की टीम बांग्लादेश के हालात का ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट कर रही है और वहां हो रही हिंसा का पूरा सच आपके सामने रख रही है. हमारे रिपोर्टर अंकित त्यागी को दीपू के घर तक की दूरी तय करने में लगभग चार घंटे लग गए.

दीपू की बेटी का क्या कसूर?

दीपू दास की छोटी बेटी दीपिका दास इतनी छोटी है कि वह समझ नहीं सकती कि उसके 29 साल के पिता के साथ क्या हुआ. मयमनसिंह शहर, जहां दीपू दास एक कारखाने में काम करते थे, वहीं मुस्लिम भीड़ ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी. इस घटना ने अमेरिका से लौटे नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस द्वारा शासित बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार की ओर दुनिया का ध्यान खींचा.

दीपू दास के एक सहकर्मी ने ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जिसके बाद उस पर हमला हुआ. हालांकि बाद में अधिकारियों ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपू दास ने ईशनिंदा की थी.

इस हिंदू परिवार का घर भी टूटा-फूटा

टिन की झोपड़ी जैसी दिखने वाले इस सादे से घर का भीतरी हिस्सा परिवार के दर्द को और बढ़ा रहा है, क्योंकि उन्होंने परिवार के एक कमाने वाले सदस्य को भी खो दिया है. दीपू दास के पिता भक्त रविदास, माता शेफाली रविदास और भाई अपू दास और रितिक दास इस 'घर' में रहते हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

जिन लोगों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने रची हत्या की साजिश- दीपू के पिता

दीपू के पिता ने एनडीटीवी से बांग्ला में कहा, "मेरे बेटे को नौकरी मिलने में किस्मत का साथ मिला क्योंकि लॉटरी निकाली गई थी. वह बीए पास था और प्रमोशन के लिए भी तैयार था. लेकिन जिन लोगों को नौकरी नहीं मिली, उन्होंने उसकी हत्या की साजिश रची. उन्होंने उसे कई बार जान से मारने की धमकी दी थी, अगर वह उन्हें नौकरी नहीं देता. वह कैसे दे सकता था? इन्हीं लोगों ने फिर मैनेजर के पास जाकर शायद उसे रिश्वत दी. उन्होंने अफवाहें फैलाईं कि दीपू दास ने ईशनिंदा की है."

'हमारे परिवार का एकमात्र सहारा'

दीपू दास के बड़े भाई ने कहा कि परिवार का एकमात्र सहारा वही था. गांव के एक बुजुर्ग ने एनडीटीवी को बताया कि दीपू दास एक अच्छा इंसान था. इस इलाके में आपको उसके जैसा दूसरा कोई नहीं मिलेगा.

दुखी परिवार ने एनडीटीवी को बताया कि बांग्लादेश प्रशासन द्वारा दिया गया मुआवजा मदद नहीं बल्कि अपमान जैसा लगा, हालांकि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी ठीक से मदद करेगी.

Latest and Breaking News on NDTV

सरकार की मदद नाकाफी

गांव के एक बुजुर्ग ने एनडीटीवी को बताया, “सरकार ने 25,000 टका, कुछ चावल, एक कंबल और एक सिलाई मशीन दी थी. आज हमें 1 लाख टका का चेक मिला है. हम जानते हैं कि सरकार हमारी और मदद कर सकती है और वे करेंगे.”

दीपू दास की पत्नी मेघना रानी घर के एक कोने में बेड पर बेसुध पड़ी थी. उसकी आंखें खालीपन को घूर रही थी. उसने कुछ नहीं कहा. उसकी छोटी बेटी को अपने पिता के साथ हुई घटना के बारे में फिलहाल कोई समझ नहीं है, इसकी गंभीरता को समझने में शायद उसे कई साल लग जाएंगे.

हिंदुओं को अपने सपने कुचलने होंगे

गांव वालों ने कहा कि दीपू दास की मौत इस बात की याद दिलाती है कि आज के अस्थिर बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने एंबिशन पर लगाम लगाना होगा, वरना उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ेगी. बांग्ला भाषा के अनुवाद में मदद करने वाले स्थानीय हिंदू समुदाय के एक नेता ने चिंता व्यक्त की कि दीपू दास की हत्या ने समुदाय में भय का गहरा घाव छोड़ दिया है.

Latest and Breaking News on NDTV

वहीं बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी हिंदुओं ने एनडीटीवी से विशेष बातचीत में अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों और चिंताओं को बयान किया. ये हमले कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा किए जा रहे हैं, जिनमें से अधिकांश को जमात-ए-इस्लामी का समर्थन हासिल है. 

दीपू की भीड़ ने कर दी थी हत्या 

बांग्लादेश में 18 दिसंबर को दीपू दास नाम के एक युवक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, भीड़ यहीं नहीं रुकी, उन लोगों ने शव को सार्वजनिक स्थान पर लटका दिया और फिर उसमें आग लगा दी. दीपू का घर राजधानी ढाका से 140 किलोमीटर दूर एक गांव में है.

ये भी पढ़ें: दीपू चंद्र दास को इंसाफ दिलाने के लिए ढाका की सड़कों पर उतरे हिंदू, लगे जय श्रीराम के नारे

हिंदू समुदाय के एक सदस्य ने एनडीटीवी को बताया, “वे कहते हैं कि वे हम पर इसलिए हमला कर रहे हैं क्योंकि हम हिंदू हैं, न कि इसलिए कि हम बांग्लादेश अवामी लीग का समर्थन करते हैं. हम किसी का भी समर्थन नहीं करते, चाहे वह अवामी लीग हो या कोई और समूह.”

ढाका के एक निवासी ने, ऑफ कैमरा एनडीटीवी को बताया, “इस्लामवादी बाहरी दुनिया से झूठ बोल रहे हैं कि वे अवामी लीग समर्थकों को निशाना बना रहे हैं और यह पूरी तरह से राजनीतिक है. लेकिन यह इस देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने अभियान को चलाने का एक बहाना है.”

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के साथ काम करने वाले अधिकारी दावा करते हैं कि वे अल्पसंख्यकों की रक्षा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कहती है. हिंदुओं ने देश भर में इस्लामवादियों द्वारा लगातार हमलों की सूचना दी है.

ये भी पढ़ें: हिंदू युवक की हत्या को नजरंदाज नहीं कर सकते, भारत ने बांग्लादेश को गिनाई अल्पसंख्यकों पर 2900 जुल्मों की लिस्ट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com