लंदन:
संसाधन समृद्ध बलूच क्षेत्र में 'चीन-पाकिस्तान सांठ-गांठ' के विरोध में बलूच कार्यकर्ताओं ने चीनी दूतावास के सामने एक सप्ताह लंबा धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
इस एक सप्ताह लंबे प्रदर्शन के दौरान 'फ्री बलूचिस्तान आंदोलन (एफबीएम)' के दो सदस्य बारी-बारी से छह दिन तक रात-दिन चीनी दूतावास के सामने बैठेंगे और एक अक्टूबर को बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. एक अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस है. एफबीएम के अनुसार, यह बलुचिस्तान में 'चीन-पाकिस्तान सांठ-गांठ' के खिलाफ शांतिपूर्ण अभियान है.
संगठन ने एक बयान में कहा, 'बलूचिस्तान में चीन 21वीं सदी की ईस्ट इंडिया कंपनी बन गया है. उनकी विस्तारवादी मंशा से क्षेत्र में सभी भली-भांति वाकिफ हैं. उसका पड़ोसी देश वियतनाम चीन की द्वेषपूर्ण प्रकृति का प्रमुख उदाहरण है, उसने 17 बार चीनी सैन्य घुसपैठ को नाकाम किया है. आज हम देखते हैं कि दक्षिण चीन सागर के मामले में वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान नहीं करता है.'
एफबीएम ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बलुचिस्तान का संघर्ष इसलिए है क्योंकि 'पंजाब के वर्चस्व वाले इस अनैतिक राष्ट्र ने महज इस्लाम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए मार्च 1948 में इसपर कब्जा कर लिया.'
बयान में कहा गया है, 'चीन ने बलुचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और अन्य क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थाई करने के प्रयास तेज कर दिए हैं, जबकि इन्हीं क्षेत्रों में 2001 में उसने ग्वादर गहरी-समुद्री परियोजना के नामपर अपना सैन्य पोस्ट बनाने की कोशिश की थी.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस एक सप्ताह लंबे प्रदर्शन के दौरान 'फ्री बलूचिस्तान आंदोलन (एफबीएम)' के दो सदस्य बारी-बारी से छह दिन तक रात-दिन चीनी दूतावास के सामने बैठेंगे और एक अक्टूबर को बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. एक अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस है. एफबीएम के अनुसार, यह बलुचिस्तान में 'चीन-पाकिस्तान सांठ-गांठ' के खिलाफ शांतिपूर्ण अभियान है.
संगठन ने एक बयान में कहा, 'बलूचिस्तान में चीन 21वीं सदी की ईस्ट इंडिया कंपनी बन गया है. उनकी विस्तारवादी मंशा से क्षेत्र में सभी भली-भांति वाकिफ हैं. उसका पड़ोसी देश वियतनाम चीन की द्वेषपूर्ण प्रकृति का प्रमुख उदाहरण है, उसने 17 बार चीनी सैन्य घुसपैठ को नाकाम किया है. आज हम देखते हैं कि दक्षिण चीन सागर के मामले में वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान नहीं करता है.'
एफबीएम ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बलुचिस्तान का संघर्ष इसलिए है क्योंकि 'पंजाब के वर्चस्व वाले इस अनैतिक राष्ट्र ने महज इस्लाम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए मार्च 1948 में इसपर कब्जा कर लिया.'
बयान में कहा गया है, 'चीन ने बलुचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और अन्य क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थाई करने के प्रयास तेज कर दिए हैं, जबकि इन्हीं क्षेत्रों में 2001 में उसने ग्वादर गहरी-समुद्री परियोजना के नामपर अपना सैन्य पोस्ट बनाने की कोशिश की थी.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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