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आवारा कुत्तों को हटाने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेटा इंडिया का आया बयान

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पेटा इंडिया नाखुशी जताई है. उसने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने कुत्तों की नसबंदी के काम को सही से लागू नहीं किया.

आवारा कुत्तों को हटाने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेटा इंडिया का आया बयान

दिल्ली के आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया (पेटा इंडिया) का बयान आया है. पेटा इंडिया की पशु चिकित्सा मामलों की वरिष्ठ निदेशक डॉ. मिनी अरविंदन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "कई कम्युनिटीज आसपास रहने वाले कुत्तों को परिवार मानते हैं, और कुत्तों को विस्थापित करना और जेल में डालना वैज्ञानिक नहीं है और कभी कारगर नहीं रहा है. 2022-23 में किए गए एक जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में लगभग 10 लाख कम्युनिटी कुत्ते हैं, जिनमें से आधे से भी कम की नसबंदी की गई है. दिल्ली की सड़कों से लगभग 10 लाख कम्युनिटी कुत्तों को जबरन हटाने से उन कम्युनिटीज में खलबली मच जाएगी, जो उनकी गहरी परवाह करते हैं. इसके साथ ही कुत्तों में भी बड़े पैमाने पर अराजकता और पीड़ा होगी."

'कोई मदद नहीं मिलेगी'

मिनी अरविंदन के बयान में आगे कहा गया कि अंततः इससे कुत्तों की आबादी पर अंकुश लगाने, रेबीज़ कम करने या कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्याप्त संख्या में कुत्तों के आश्रय स्थल बनाना असंभव है और कुत्तों को विस्थापित करने से कुत्तों के बीच क्षेत्र को लेकर झगड़े और भुखमरी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. अंततः, कुत्ते फिर से उन्हीं क्षेत्रों में लौट आते हैं, खासकर जब पिल्ले पैदा होते रहते हैं. इसीलिए, सरकार ने 2001 से कम्युनिटी कुत्तों की नसबंदी अनिवार्य कर दी है—एक ऐसी प्रक्रिया, जो उन्हें शांत करती है—और इस दौरान उन्हें रेबीज़ का टीका भी लगाया जाता है.

दिल्ली सरकार पर लगाए आरोप

पेटा इंडिया ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने कुत्तों की नसबंदी के लिए एक प्रभावी कार्यक्रम लागू किया होता, तो आज सड़कों पर शायद ही कोई कुत्ता होता, लेकिन एक प्रभावी नसबंदी कार्यक्रम को अभी से लागू करने में देर नहीं होगी. अप्रभावी और अमानवीय विस्थापन अभियानों पर समय, प्रयास और सार्वजनिक संसाधनों को बर्बाद करने के बजाय, एक प्रभावी नसबंदी कार्यक्रम अभी भी समाधान और तत्काल आवश्यकता है. अन्य महत्वपूर्ण प्रयासों में अवैध पालतू जानवरों की दुकानों और प्रजनकों को बंद करना शामिल होगा, जो जानवरों को छोड़ने में योगदान देते हैं, और जनता को किसी पशु आश्रय या सड़क से ज़रूरतमंद कुत्ते को लेने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल होगा.

सुप्रीम कोर्ट का क्या है आदेश

दिल्ली NCR में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर लगातार हो रहे आवारा कुत्तों के हमलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद सख़्त निर्देश जारी किए. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि हमें सड़कों को पूरी तरह से आवारा कुत्तों से मुक्त बनाना होगा, यह पहला और सबसे महत्वपूर्ण प्रयास होना चाहिए. अदालत ने NCR, MCD और NDMC को तुरंत सभी इलाकों से कुत्तों को उठाने और उन्हें शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया.

सभी इलाकों से तत्काल उठाने का आदेश

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नसबंदी वाले या बिना नसबंदी वाले सभी कुत्तों को सड़कों से हटाया जाए. खासकर संवेदनशील इलाकों और घनी आबादी वाले शहरों में यह काम प्राथमिकता पर हो.  अगर इसके लिए कोई स्पेशल फोर्स बनानी पड़े, तो तुरंत बनाई जाए.  अदालत ने कहा कि फिलहाल किसी भी नियम को भूल जाइए, हमें सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित करना है. 

किसी भी बाधा पर अवमानना कार्रवाई

अदालत ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन कुत्तों को पकड़ने या इकट्ठा करने में बाधा डालेगा, तो उस पर अवमानना की कार्रवाई होगी.  सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि हम कुछ कुत्ते प्रेमियों की वजह से अपने बच्चों की बलि नहीं चढ़ा सकते. 

ABC नियम को सुप्रीम कोर्ट ने बताया बेतुका

कोर्ट ने मौजूदा Animal Birth Control (ABC) नियम, जिसमें कुत्तों को नसबंदी के बाद उसी इलाके में छोड़ने का प्रावधान है, को ‘बेतुका' करार दिया. अदालत ने कहा कि इससे समस्या खत्म नहीं होती और खतरा बरकरार रहता है. 

शेल्टर होम बनाने का हो सख़्त टाइम फ्रेम

MCD, NDMC, दिल्ली सरकार और नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव के प्राधिकरण को 8 हफ्तों में डॉग शेल्टर बनाने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है.  इन शेल्टरों में

  • पेशेवर स्टाफनसबंदी और टीकाकरण की सुविधासीसीटीवी निगरानीबाहर निकलने पर पाबंदी
  • पहले चरण में 5,000 कुत्तों के लिए काम शुरू करने को कहा गया है. 

जनता की सुरक्षा सर्वोपरि: सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने कहा हम यह अपने लिए नहीं कर रहे हैं, यह आम जनता की सुरक्षा के लिए है. हमें सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को रेबीज़ का खतरा न हो. कोर्ट ने कुत्तों के हमले या काटने की शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन शुरू करने का भी निर्देश दिया.

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