सीमा पर तैनात सिपाही
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान पाकिस्तान के बीच तोरखम सीमा पर रविवार से तीन दिन तक चली गोलाबारी को लेकर अब तनाव चरम पर है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के विशेष दूत और राजदूत हज़रत उमर ज़खेलवाल ने बुधवार को पाकिस्तान पर दोनों देशों के बीच के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। ये भी कहा कि अगर पाकिस्तान नहीं सुधरा तो इस मसले पर हुई बैठक की सभी खुफिया जानकारी सार्वजनिक कर देंगे।
अफगानिस्तान के मुताबिक सीमा पर किसी भी नए ढांचे को बनाने के लिए पाकिस्तान को अफगानिस्तान से भी बात करनी होगी और सहमति लेनी होगी ऐसा समझौता है। और कंस्ट्रक्शन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत करना होगा। ये दोनों देशों के बीच एक ऐसी सीमा है जो भारत नेपाल सीमा की तरह खुली हुई है। यहां तक कि कई बार तालिबान के लड़ाकों और सरगनाओं के भी यहां से बेरोक टोक आने जाने की खबरें हैं।
पाकिस्तान ने इस सीमा पर अपने टैंक भेजे
अब अफगानिस्तान के मुताबिक पाकिस्तान ने समझौता तोड़ा है और बिना इजाज़त अपनी सीमा के कुछ ही मीटर अंदर स्थायी गेट बनाना शुरू कर दिया है। हालात इतने खराब हुए कि पाकिस्तान ने इस सीमा पर अपने टैंक भेजे हैं और सोमवार को हुई गोलाबारी में अपनी सेना के मेजर जवाद खान के मारे जाने की खबर दी। अफगानिस्तान सेना का भी एक जवान मारा गया जबकि छह घायल हुए।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को गेट बनाने की इजाज़त नहीं दी
ज़खेलवाल ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत के बाद पहले जहां फेसबुक पर लिखा कि बातचीत अच्छी रही, सीज़फायर और तनाव घटाने और बातचीत से समस्या का हल निकालेंगे, कुछ ही घंटे बाद उन्होंने एक और पोस्ट लिखा। इस ताज़ा पोस्ट में उन्होंने लिखा कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को गेट बनाने की इजाज़त नहीं दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने बैठक के बारे में मीडिया को गलत जानकारी दी और ये भी धमकी दी कि वो बैठक की सभी खुफिया जानकारी सार्वजनिक कर देंगे।
गेट बनाने की कोशिश कर रहा है पाकिस्तान
उधर, पाकिस्तान का दावा है कि वो जो गेट बनाने की कोशिश कर रहा है वो उसकी सीमा के 37 मीटर अंदर है और अफगानिस्तान की तरफ से सीमा पार करने वाले किसी भी शख्स की चेकिंग और काग़ज़ात की जांच के लिए है। इसके ज़रिए आतंकवादियों को भी पाकिस्तान में घुसने से रोका जा सकेगा।
डुरंड लाइन अफगानिस्तान ने नहीं माना
अफगानिस्तान को इस 2200 किलोमीटर पर किसी भी कंस्ट्रक्शन पर इसलिए आपत्ति है कि क्योंकि उसके मुताबिक 19वीं सदी में ब्रिटिश शासकों की खींची हुई इस डुरंड लाइन को उसने कभी नहीं माना।
फगानिस्तान में भारत का लागातार बढ़ता प्रभाव रास नहीं आ रहा पाकिस्तान को
वैसे दोनों देशों के रिश्ते अभी वैसे भी तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान को लगता है कि तालिबान को बातचीत की टेबल तक लाने के लिए पाकिस्तान ने सच्ची कोशिश नहीं की। और पाकिस्तान को भी अफगानिस्तान में भारत का लागातार बढ़ता प्रभाव रास नहीं आ रहा है।
अफगानिस्तान के मुताबिक सीमा पर किसी भी नए ढांचे को बनाने के लिए पाकिस्तान को अफगानिस्तान से भी बात करनी होगी और सहमति लेनी होगी ऐसा समझौता है। और कंस्ट्रक्शन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत करना होगा। ये दोनों देशों के बीच एक ऐसी सीमा है जो भारत नेपाल सीमा की तरह खुली हुई है। यहां तक कि कई बार तालिबान के लड़ाकों और सरगनाओं के भी यहां से बेरोक टोक आने जाने की खबरें हैं।
पाकिस्तान ने इस सीमा पर अपने टैंक भेजे
अब अफगानिस्तान के मुताबिक पाकिस्तान ने समझौता तोड़ा है और बिना इजाज़त अपनी सीमा के कुछ ही मीटर अंदर स्थायी गेट बनाना शुरू कर दिया है। हालात इतने खराब हुए कि पाकिस्तान ने इस सीमा पर अपने टैंक भेजे हैं और सोमवार को हुई गोलाबारी में अपनी सेना के मेजर जवाद खान के मारे जाने की खबर दी। अफगानिस्तान सेना का भी एक जवान मारा गया जबकि छह घायल हुए।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को गेट बनाने की इजाज़त नहीं दी
ज़खेलवाल ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत के बाद पहले जहां फेसबुक पर लिखा कि बातचीत अच्छी रही, सीज़फायर और तनाव घटाने और बातचीत से समस्या का हल निकालेंगे, कुछ ही घंटे बाद उन्होंने एक और पोस्ट लिखा। इस ताज़ा पोस्ट में उन्होंने लिखा कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को गेट बनाने की इजाज़त नहीं दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने बैठक के बारे में मीडिया को गलत जानकारी दी और ये भी धमकी दी कि वो बैठक की सभी खुफिया जानकारी सार्वजनिक कर देंगे।
गेट बनाने की कोशिश कर रहा है पाकिस्तान
उधर, पाकिस्तान का दावा है कि वो जो गेट बनाने की कोशिश कर रहा है वो उसकी सीमा के 37 मीटर अंदर है और अफगानिस्तान की तरफ से सीमा पार करने वाले किसी भी शख्स की चेकिंग और काग़ज़ात की जांच के लिए है। इसके ज़रिए आतंकवादियों को भी पाकिस्तान में घुसने से रोका जा सकेगा।
डुरंड लाइन अफगानिस्तान ने नहीं माना
अफगानिस्तान को इस 2200 किलोमीटर पर किसी भी कंस्ट्रक्शन पर इसलिए आपत्ति है कि क्योंकि उसके मुताबिक 19वीं सदी में ब्रिटिश शासकों की खींची हुई इस डुरंड लाइन को उसने कभी नहीं माना।
फगानिस्तान में भारत का लागातार बढ़ता प्रभाव रास नहीं आ रहा पाकिस्तान को
वैसे दोनों देशों के रिश्ते अभी वैसे भी तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान को लगता है कि तालिबान को बातचीत की टेबल तक लाने के लिए पाकिस्तान ने सच्ची कोशिश नहीं की। और पाकिस्तान को भी अफगानिस्तान में भारत का लागातार बढ़ता प्रभाव रास नहीं आ रहा है।
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