ध्रुव हेलीकॉप्टर
नई दिल्ली:
भारत सरकार के उपक्रम एचएएल यानी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को एक करारा झटका लगा है। कंपनी के साथ हेलीकॉप्टर खरीद के सौदे को इक्वाडोर की सरकार ने रद्द कर दिया है। इस सरकार ने एचएएल द्वारा निर्मित 7 ध्रुव हेलीकॉप्टर खरीदे थे और बाकी का सौदा एक तरफा रद्द कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि इन सात में से चार हेलीकॉप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वहां की सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है। साथ ही सरकार ने बाकी बचे तीन हेलीकॉप्टरों के उड़ाए जाने पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि इक्वाडोर को भारत ने 2009 से 2012 के बीच यह हेलीकॉप्टर दिए थे।
दो दुर्घटनाओं में तो गलती पायलटों की थी
जानकारी यह भी मिली है कि दो दुर्घटनाओं में तो गलती पायलटों की थी। इनमें से एक को राष्ट्रपति की सेवा में लगाया गया था जब वह दुर्घटनाग्रस्त हुआ। अच्छी बात यह रही है कि जब वह उड़ान पर था तब राष्ट्रपति उसमें सवार नहीं थे।
दो हेलीकॉप्टर तकनीकी खामियां
एपी की खबरों के मुताबिक, इक्वाडोर के रक्षामंत्री ने कहा है कि दो हेलीकॉप्टर तकनीकी खामियों की वजह से क्रैश हुए और उनके स्पेयर पार्ट्स भारत से मंगाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
एचएएल का जवाब
इन खबरों के जवाब में एचएएल का कहना है कि अभी तक करार के रद्द किए जाने की उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। उनका कहना है कि सभी स्पेयर पार्ट्स समय पर दिए गए हैं और फिलहाल उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है जिसमें तकनीकी खामी की कोई बात कही गई है।
एचएएल का कहना है कि एक्वाडोर को हर प्रकार की मदद मुहैया कराई जा रही थी और ग्राउंड सपोर्ट भी काफी समय तक दिया गया और यह भी दुर्घटनाएं तब घटीं जब ग्राउंड सपोर्ट की हमारे करार की अवधि समाप्त हो गई।
भारतीय सेना के पास 200 से ज्यादा ध्रव
एचएएल अधिकारियों का कहना है कि 200 से ज्यादा ध्रव हेलीकॉप्टर भारतीय सेना द्वारा विभिन्न कामों में प्रयोग में लाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड में मची तबाही के दौरान इन चॉपर्स का भरपूर प्रयोग किया गया। इतना ही नहीं एचएएल को फख्र है कि भारतीय सेना ने इन चॉपर को अब तक 1,50,000 लाख घंटों तक उड़ाया है।
वहीं, कहा जा रहा है कि इक्वाडोर द्वारा इस प्रकार से एक तरफा सौदे को रद्द करने से कंपनी को जोर का झटका लगेगा क्योंकि कंपनी अपने उत्पाद को अन्य देशों में बेचने का काफी प्रयास कर रही है।
बताया जा रहा है कि इन सात में से चार हेलीकॉप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वहां की सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है। साथ ही सरकार ने बाकी बचे तीन हेलीकॉप्टरों के उड़ाए जाने पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि इक्वाडोर को भारत ने 2009 से 2012 के बीच यह हेलीकॉप्टर दिए थे।
दो दुर्घटनाओं में तो गलती पायलटों की थी
जानकारी यह भी मिली है कि दो दुर्घटनाओं में तो गलती पायलटों की थी। इनमें से एक को राष्ट्रपति की सेवा में लगाया गया था जब वह दुर्घटनाग्रस्त हुआ। अच्छी बात यह रही है कि जब वह उड़ान पर था तब राष्ट्रपति उसमें सवार नहीं थे।
दो हेलीकॉप्टर तकनीकी खामियां
एपी की खबरों के मुताबिक, इक्वाडोर के रक्षामंत्री ने कहा है कि दो हेलीकॉप्टर तकनीकी खामियों की वजह से क्रैश हुए और उनके स्पेयर पार्ट्स भारत से मंगाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
एचएएल का जवाब
इन खबरों के जवाब में एचएएल का कहना है कि अभी तक करार के रद्द किए जाने की उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। उनका कहना है कि सभी स्पेयर पार्ट्स समय पर दिए गए हैं और फिलहाल उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है जिसमें तकनीकी खामी की कोई बात कही गई है।
एचएएल का कहना है कि एक्वाडोर को हर प्रकार की मदद मुहैया कराई जा रही थी और ग्राउंड सपोर्ट भी काफी समय तक दिया गया और यह भी दुर्घटनाएं तब घटीं जब ग्राउंड सपोर्ट की हमारे करार की अवधि समाप्त हो गई।
भारतीय सेना के पास 200 से ज्यादा ध्रव
एचएएल अधिकारियों का कहना है कि 200 से ज्यादा ध्रव हेलीकॉप्टर भारतीय सेना द्वारा विभिन्न कामों में प्रयोग में लाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड में मची तबाही के दौरान इन चॉपर्स का भरपूर प्रयोग किया गया। इतना ही नहीं एचएएल को फख्र है कि भारतीय सेना ने इन चॉपर को अब तक 1,50,000 लाख घंटों तक उड़ाया है।
वहीं, कहा जा रहा है कि इक्वाडोर द्वारा इस प्रकार से एक तरफा सौदे को रद्द करने से कंपनी को जोर का झटका लगेगा क्योंकि कंपनी अपने उत्पाद को अन्य देशों में बेचने का काफी प्रयास कर रही है।
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