अमेरिका में सबसे भीषण आतंकी हमले 9/11 के करीब 20 साल हो गए हैं. कोरोना महामारी के दौर में अफवाहों और साजिशों की बेबुनियाद कहानियों को जन्म देने वालों को नया मौका मिल गया है. 9/11 को अलकायदा का आतंकवादी हमला न मानने वाले इसे अमेरिकी सरकार की एक करतूत मानते हैं. ऐसे ही साजिशों की कहानियां बुनने वाले क्यूनान समूह (QAnon conspiracy theories) के लोगों का मानना है कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की स्टील की मोटी बीम को किसी विमान के ईंधन से पिघलाया नहीं जा सकता था. लिहाजा टॉवर के अंदर अवश्य ही विस्फोटक रखा गया हो गया होगा.
सिर्फ विमानों के टकराने से इतने बड़े टावर को धराशायी नहीं किया जा सकता. इन्हीं में शामिल हीदर ब्योर ने भी अपहृत विमानों के टकराए जाने से ट्विन टॉवर(Twin Towers) , पेंटागन ( Pentagon) में गिरे विमान के मलबे और पेनसिल्वेनिया में एक विमान के टुकड़ों को लेकर अपनी कहानी बयां की है.
अलकायदा (Al Qaeda) द्वारा हमला करने की बात को नकारते हुए ब्योर का मानना है कि अमेरिकी सरकार ही मुख्यतौर पर इस अटैक के लिए जिम्मेदार है. ऐसे ही कुछ झूठ इस बार 11 सितंबर को हमले की 20वीं बरसे पर फैलाए जा रहे हैं. ब्योर ने AFP से कहा, मैं हर चीज पर सवाल उठाती हूं और हैरत में हूं कि इतिहास में हमें जो भी बताया गया है, उसमें से कितनी सच्चाई है. ब्योर ने Covid-19 महामारी के भी अस्तित्व में होने से इनकार किया है. जबकि 11 सितंबर 2001 को हुए हमले के दौरान विस्कोन्सिन में रहने वाली ब्योर महज 14 साल की थी.
उस हमले में 3 हजार के करीब लोग मारे गए थे. उनका मानना है कि 9/11 हमला इसलिए कराया गया, ताकि इराक में अमेरिकी हमले को जायज ठहराया जा सके. वो 2001 के हमले से जुड़े आंदोलन (9/11 truther movement) से सक्रियता से जुड़ी हुई हैं. ट्विन टॉवर को लेकर तमाम साक्ष्यों और वाकयों को जोड़ते हुए वे ऑनलाइन इन बातों पर चर्चा करते हैं और दूसरों से साझा करते हैं. वे इमारतों को नियंत्रित तरीके से ध्वस्त करने की तकनीकों पर बहस करते हैं. उन पर विशेषज्ञों की राय भी साझा करते हैं.
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