September 11 Attacks: आज से ठीक 18 साल पहले 11 सितंबर 2001 (9/11) को अमेरिका में हुए आतंकी हमले ने दुनिया को हिला कर रख दिया. दुनिया के सबसे ताकतवर देश में आतंकियों ने ऐसी तबाही मचाई जिसको पूरी दुनिया में कोई भी भुला नहीं सकता है. 11 सितंबर 2001 (11 September) की सुबह रोज की तरह ही वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Centre) में करीब 18 हजार कर्मचारी रोजमर्रा का काम कर रहे थे. मगर आठ बजकर 46 मिनट पर जो हुआ वो लोगों की सोच से परे था. उस दिन 19 आतंकियों ने चार विमान हाईजैक किए और फिर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से दो विमानों को भिड़ा दिया. आतंकियों ने उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग और बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए. दोनों बिल्डिंग दो घंटे के अंदर ढह गई. आतंकियों ने तीसरे विमान को वाशिंगटन डी. सी. के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया. जबकि चौथा विमान शेंकविले के खेत में क्रैश हुआ था.
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस घटना को अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन करार दिया था, जिस समय जॉर्ज बुश को हमले की सूचना मिली वह एक स्कूल के कार्यक्रम में मौजूद थे. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में करीब 3000 लोग मारे गए. मरने वालों में 343 फायर विभाग और 60 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. मरने वाले लोगों में 70 अलग-अलग देशों के नागरिक थे. वहीं, पेंटागन पर हुए हमले में 184 लोग मारे गए थे. 11 सितम्बर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए इन हमलों को अंजाम आतंकी संगठन अल-क़ायदा ने दिया. 19 हाइजैकर्स में से 15 सऊदी अरब के थे और बाकी यूएई, इजिप्ट और लेबनान के रहने वाले थे. अमेरिका ने इन हमलों के तुरंत बाद अलकायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था.
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने ठान लिया था कि ओसामा बिन लादेन और उसके आतंकी संगठन अलकायदा को खत्म करना है. लेकिन बुश इसमें सफल नहीं हो पाएं. आखिरकार बुश के बाद नए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन को ढूंढ लिया और पाकिस्तान के एबटाबाद में एक गुप्त कार्रवाई में उसे मार गिराया. अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान में घुसकर 2 मई 2011 को मार गिराया था.
आपको बता दें कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर न्यूयार्क के मैनहैटन में बने दो टावर रूपी इमारतों का जोड़ा था. इसके एक टावर का निर्माण 1966 में शुरू हुआ था जो 1972 में पूर्ण हुआ. दूसरे टावर को बनाने का काम 1966 में शुरू होकर 1973 में समाप्त हुआ था.
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