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This Article is From Aug 19, 2021

तालिबान के खिलाफ एकजुट हो रहे विरोधी, अहमद मसूद बोले-हमारे मुजाहिदीन संघर्ष को तैयार, सेना के जवान भी हैं साथ

वॉशिंगटन पोस्ट' से बातचीत में अहमद मसूद ने कहा, 'मुजाहिदीन लड़ाके एक बार फिर से तालिबान से लड़ने को तैयार हैं. हमारे पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद है.'

तालिबान के खिलाफ अफगानिस्‍तान में लोग एकजुट हो रहे हैं

Afghanistan Crisis:अफगानिस्‍तान पर तालिबान के कब्‍जे (Taliban control on Afghanistan) के बीच लोग इस 'आतंकी संगठन' के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. पूर्व में तालिबान के ख़िलाफ़ पलड़ाई लड़ने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने (Ahmed Masood) अब 'इस संगठन'  के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. तालिबान के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग में अहमद मसूद ने दुनिया से भी मदद भी मांगी है. 'वॉशिंगटन पोस्ट' से बातचीत में अहमद मसूद ने कहा, 'मुजाहिदीन लड़ाके एक बार फिर से तालिबान से लड़ने को तैयार हैं. हमारे पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद है.' अफगान नेशनल रेजिस्टेंस फ़्रंट के नेता अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का ऐलान करते हुए पिता की राह पर चलने के माद्दा दिखाया है. 

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उन्‍होंने कहा, 'मुजाहिदीन लड़ाके एक बार फिर तालिबान से टक्कर को तैयार हैं. हमारे पास बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद हैं. मेरी अपील पर कई लोग साथ जुड़े हैं. सेना के कई जवान भी मेरे साथ हैं जो हथियार डालने से नाराज हैं.' हालांकि अहमद मसूद ने स्‍वीकार किया कि तालिबान से लड़ने के लिए ये काफ़ी नही हैं, इसलिए उन्‍होंने हम दूसरे देशों से भी मदद की अपील की है. उन्‍होंने कहा कि तालिबान सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान नहीं बल्कि पूरी दुनिया का दुश्मन है. इसके राज में अफ़ग़ानिस्तान आतंकियों का गढ़ बन जाएगा.'

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अहमद मसूद के अलावा अफगानिस्‍तान के उपराष्‍ट्रपति अमरुल्‍लाह सालेह ( Amrullah Saleh )ने भी तालिबान के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है. सालेह ने ट्ववीट में लिखा, 'मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा, जिन्‍होंने मुझे चुना. मैं तालिबान के साथ कभी भी नहीं रहूंगा, कभी नहीं.' एक अन्‍य ट्वीट में सालेह ने लिखा, 'इस बारे में अमेरिका से बात करने का अब कोई मतलब नहीं है. हम अफगानों को साबित करना होगा कि अफगानिस्‍तान, वियतनाम नहीं है. अमेरिका और नाटो से अलग हमने अभी हौसला नहीं खोया है. ' ऐसी सूचना है कि सालेह देश के अपने अंतिम ठिकाने, काबुल के पूर्वोत्‍तर में स्थित पंजशीर घाटी की ओर कूच कर गए हैं. सालेह ओर मसूद के बेटे पंजशीर में तालिबान के मुकाबले के लिए गुरिल्‍ला मूवमेंट के लिए एकत्र हो रहे हैं.अपनी नैसर्गिंक सुरखा के लिए मशहूर पंचशीर वैली 1990 के सिविल वार में कभी भी तालिबान के हिस्‍से में नहीं आई और न ही इससे एक दशक पहले इसे (तत्‍कालीन) सोवियत संघ जीत पाया था. एक निवासी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'हम तालिबान को पंजशीर में प्रवेश की इजाजत नहीं देंगे. हम पूरी ताकत के साथ उसका विरोध करेंगे और लड़ेंगे.' 

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