अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल ( Kabul) से एक विशेष विमान से करीब 104 लोगों का दल भारत पहुंचा. इनमें अधिकतर अफगान सिख और हिंदू समुदाय के लोग हैं. इनमें 10 भारतीय भी हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ये सभी वहां से निकलना चाह रहे थे. ये अपने साथ गुरुग्रंथ साहिब के 2 पवित्र स्वरुप और कुछ प्राचीन हिन्दू हस्तलिपि भी लेकर आए हैं. हवाई अड्डे पर इनका स्वागत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने किया. ये विशेष विमान कामा एयर का है जो वापसी में करीब 90 अफगान नागरिकों को लेकर काबुल गया है. साथ ही इस विमान में दवाएं भी ले जाई गईं हैं. विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये दवाएं WHO के प्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा जो काबुल के इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल पर प्रशासित किया जाएगा.
काबुल में तालिबान के काबिज होने के बाद भारत ने यहां से भारतीयों को निकालने का अभियान चलाया था. साथ ही उन अफगान सिख और हिन्दुओं को भी जो यहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे. 30 अगस्त को अमेरिकी सेना की काबुल से पूरी तरह वापसी के बाद सारा दारोमदार तालिबान की नई सत्ता पर था कि वहां से निकलने की इच्छा रखने वालों को कब और कैसे निकलने दे. दिल्ली में अफगानिस्तान के राजदूत (गनी सरकार के समय पदस्थापित) फरीद मामुंदजई ने ट्वीट कर भारत का शुक्रिया अदा किया है.
“All kids need is a little help, a little hope and somebody who believes in them.” The first consignment of medical aid from India arrived to Kabul this morning. 1.6 metric tonne of life saving medicines will help many families in this difficult time.“Gift from people of India”. pic.twitter.com/pFWGwLkkZQ
— Farid Mamundzay फरीद मामुन्दजई فرید ماموندزی (@FMamundzay) December 11, 2021
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विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ ‘ऑपरेशन देवी शक्ति' के तहत अब तक 669 लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया है जिसमें 448 भारतीय और 206 हिन्दू और सिख समुदाय के अफ़ग़ान नागरिक हैं. अगस्त में भारत ने 565 लोगों को काबुल से रेस्क्यू किया था जिसमें 438 भारतीय शामिल थे. भारत ने तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं दी है और न ही भारत का काबुल में कोई मिशन काम कर रहा है. लेकिन अपने संपर्क सूत्रों के ज़रिए सरकार लगातार अफगानी सिख, हिन्दू और भारतीयों को निकालने की कोशिश में जुटी रही. ये तभी आज संभव हो पाया है.
तालिबानियों ने इस दल को एयरपोर्ट पहुंचने में कोई अड़ंगा नहीं डाला, बल्कि सहजता से आने दिया. मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक वीडियो बयान ट्वीट कर कहा है कि “मैं देश के लोगों को ये बताना चाहता हूं कि तालिबान के लोग खुद उनको सुरक्षित एयरपोर्ट छोड़ कर आए." जाहिर है बदली हुई परिस्थिति में तालिबान भी अपनी तरफ से व्यवहार में लोच दिखा रहा है. उससे भारत से मानवीय मदद के तौर पर बड़ी आस है. अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत पचास हजार मीट्रिक टन गेंहूं देने का पहले ही ऐलान कर चुका है. ये गेंहू वर्ड फूड प्रोग्राम को सुपुर्द किया जाएगा जो इसका वितरण करेगा. मानवीय ज़रुरतों को ध्यान में रखते हुए भारत से दवाएं भी अफ़ग़ानिस्तान भेजी गई हैं. तालिबान की सत्ता आने के बाद से मगर की ये पहली खेप है.
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