काबुल:
शिया मुसलमानों के पवित्र दिन आशूरा (मुहर्रम का दसवां दिन) पर अफगानिस्तान में दो मस्जिदों में हुए बम धमाकों में कम से कम 60 व्यक्तियों की मौत हो गई है। और 100 लोगों के घायल होने की खबर मिली है। एएफपी के एक फोटाग्राफर ने देखा कि मध्य काबुल में एक मस्जिद में आशूरा का शोक मनाने के लिए शिया समुदाय के लोग एकत्र हुए थे तभी उसके गेट के पास विस्फोट हो गया जिसमें कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई। काबुल पुलिस ने एक बयान में कहा, एक आत्मघाती हमलावर ने स्वयं को अबू-उल फाजिल मस्जिद के पास उड़ा लिया। नाम न बताने की शर्त पर एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि आशंका है कि हमलावर काबुल के दक्षिण में स्थित लोगर प्रांत से शिया समुदाय के लोगों के साथ आया था। मजार-ए-शरीफ में एक अन्य मस्जिद में हुए एक अन्य विस्फोट में चार लोगों की मौत हो गई। अभी इस बात की पुष्टी नहीं हुई है कि इस हमले में शिया समुदाय को निशाना बनाया गया था या नहीं। उत्तरी अफगानिस्तान में पुलिस के प्रवक्ता लाल मोहम्म्द अहमदजई ने कहा, यह एक विस्फोट था, आत्मघाती हमला नहीं। विस्फोटक को एक साइकिल में छिपा कर रखा गया था। उन्होंने बताया कि घटना में चार लोगों की मौत हुई है जबकि चार घायल हो गए। तालिबान के शासन में वर्ष 2001 तक शिया समुदाय के लिए सार्वजनिक तौर पर आशूरा मनाना प्रतिबंधित था। आम सालों के मुकाबले इस साल ज्यादा जुलूस आदि निकाले गए। अभी तक तालिबान या अफगानिस्तान में सक्रिय किसी अन्य आतंकवादी समूह ने विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ली है। विस्फोट अफगानिस्तान के भविष्य पर विचार करने के लिए जर्मनी के शहर बान में आयोजित हुए सम्मेलन के ठीक बाद हुए हैं। इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की 10वीं तारीख आशूरा सच्चाई के लिए लड़ने और इंसानियत का झंडा हमेशा बुलंद रखने की कोशिश करने का पैगाम देती है। इसी पैगाम को लेकर हजरत हुसैन भी आगे बढ़े थे और कर्बला के मैदान में शहादत पाई।