पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मिशेल ओबामा (फाइल फोटो)
न्यूयॉर्क:
पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति प्रशासन के एक अधिकारी का एक इंटरव्यू के दौरान एक बयान सामने आया है. बराक ओबामा प्रशासन के एक पूर्व अधिकारी ने कहा है कि ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका का बाहर आना बहुत बड़ी भूल होगी. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के साथ हाल के एक इंटरव्यू में पूर्व आर्थिक विकास, ऊर्जा, एवं पर्यावरण उपमंत्री, रॉबर्ट हॉरमैट्स ने कहा, 'संधि से पीछे हटना बहुत बड़ी गलती होगी, क्योंकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान समझौते का उल्लंघन कर रहा है.'
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान ने समझौते कोई उल्लंघन किया है, फिर भी वाशिंगटन इस समझौते से बाहर निकलता है तो अमेरिका अपने सहयोगियों से अलग-थलग हो जाएगा. अमेरिकी कंपनियों को भुगतना होगा और क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव कमजोर हो जाएगा.
यह भी पढे़ं : ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी बोले - यदि अमेरिका प्रतिबंध बढ़ाना जारी रखता है तो परमाणु समझौते से अलग हो जाएंगे
उन्होंने कहा, 'अमेरिका के समझौते से अलग होने के बाद ईरान यदि अपने परमाणु कार्यक्रम को बहाल कर देता है तो क्या होगा. इससे वे परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.'
VIDEO : देखें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा का विदाई भाषण
गौरतलब है कि पश्चिम के साथ वर्षो के तनाव के बाद, ईरान ने जर्मनी सहित ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और पांच विश्व शक्तियों के साथ जुलाई 2015 में एक समझौता किया था, जिसके तहत ईरान पश्चिमी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने के बदले यूरेनियम संवर्धन की अपनी गतिविधियों को सीमित करने पर सहमत हो गया था.(इनपुट आईएएनएस से)
उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान ने समझौते कोई उल्लंघन किया है, फिर भी वाशिंगटन इस समझौते से बाहर निकलता है तो अमेरिका अपने सहयोगियों से अलग-थलग हो जाएगा. अमेरिकी कंपनियों को भुगतना होगा और क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव कमजोर हो जाएगा.
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उन्होंने कहा, 'अमेरिका के समझौते से अलग होने के बाद ईरान यदि अपने परमाणु कार्यक्रम को बहाल कर देता है तो क्या होगा. इससे वे परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.'
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गौरतलब है कि पश्चिम के साथ वर्षो के तनाव के बाद, ईरान ने जर्मनी सहित ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और पांच विश्व शक्तियों के साथ जुलाई 2015 में एक समझौता किया था, जिसके तहत ईरान पश्चिमी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने के बदले यूरेनियम संवर्धन की अपनी गतिविधियों को सीमित करने पर सहमत हो गया था.(इनपुट आईएएनएस से)
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