हाल ही में हुआ एक शोध कहता है कि चीन (China) में वायु प्रदूषण (Air Pollution) हर साल 64,000 अजन्मे बच्चों की जान ले लेता है. चीन के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार (SCMP), में पिछले 10 सालों से प्रदूषण नियंत्रित करने के प्रयासों के बावजूद चीन में यह हाल है. साल 2015 में 137 देशों में हुए सर्वे के अनुसार, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में 40 प्रतिशत अजन्मे बच्चों की मौत, अधिकतर जीवाश्म ईंधन जलाने से पैदा होने वाले PM 2.5 की चपेट में आने के कारण होती है. नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, चीन PM 2.5 के कारण होने वाले गर्भपात की संख्या में चौथे स्थान पर आता है.
पीकींग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, "137 देशों में से कुछ में, जैसे चीन में हवा की गुणवत्ता सुधरने के कारण मरे हुए बच्चे पैदा होने का दुनिया का भार कुछ कम हुआ है. इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के मानक बच्चों के मृतजन्म को रोक सकते हैं."
उन्होंने जोर देकर चीनी सरकार के द्वारा इसे रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे मे बताया. खराब वायु गुणवत्ता और मृतजन्म का आपसी संबंध पूरी दुनिया में स्थापित हो चुका है. इस स्टडी ने पहली बार गर्भ में बच्चे की कुल मौतों की आंकड़ा बताया है. साल 2020 की रिपोर्ट में यूनीसेफ ने इसे एक नज़रअंदाज़ की गई त्रासदी बताया था.
हालांकि किस वहज से PM 2.5 के कारण अजन्मे बच्चे की मौत होती है, यह साफ नहीं है. लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि प्लेसेंटा से पार होने वाले प्रदूषण के पार्टिकल से भ्रूण को "बिना पलटे जाने वाला नुकसान होता है." यह भ्रूण को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने से भी रोक सकता है.
SCMP ने आगे बताया कि करीब 10 साल पहले जब बीजिंग जैसे बड़े शहर घने प्रदूषण से ढंके रहते थे, PM 2.5 का प्रदूषण, चीन में बड़ी सार्वजनिक चिंता का विषय था. इसके बाद सरकार ने कई प्रयास शुरू किए थे.
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