उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में तीन दिनों तक लिफ्ट में फंसे रहने के बाद एक 32 साल की महिला की मौत हो गई. वहां तीन दिनों तक उसे कोई बचाने नहीं आया, बाद में वहां उसका शव बरामद हुआ. लियोन्टीवा नौ मंजिला इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल से मदद के लिए चिल्लाती रही, लेकिन दुर्भाग्य से, किसी ने भी उसकी आवाज नहीं सुनी. मृतका का नाम ओल्गा लियोन्टीवा था, जो डाक विभाग में काम करती थी.
बताया जाता है कि रोजाना की तरह जब वो काम के बाद घर नहीं लौटी तो उसके परिवारवालों ने 24 जुलाई को उसके लापता होने की सूचना दी. फिर काफी खोजबीन के बाद अगले दिन उसका शव लिफ्ट में पाया गया. उसकी छह साल की बेटी है, जो अब रिश्तेदारों की देखरेख में है.
अभियोजक के कार्यालय ने घटना की जांच शुरू कर दी है. इस दौरान यह पाया गया कि चीन निर्मित लिफ्ट चालू हालत में थी, हालांकि इसका पंजीकरण नहीं कराया गया था. आउटलेट के अनुसार, क्षेत्रीय विद्युत नेटवर्क ने पुष्टि की है कि घटना के दिन कोई बिजली कटौती नहीं हुई थी. निवासियों के बयान को ध्यान में रखते हुए हादसे का कारण लिफ्ट में खराबी बताई गई है.
इसी तरह की एक घटना पिछले हफ्ते इटली के पलेर्मो में हुई थी, जहां 61 वर्षीय महिला फ्रांसेस्का मार्चियोन बिजली कटौती के दौरान लिफ्ट में फंसने के बाद मृत पाई गई थी. 26 जुलाई को बिजली गुल हो गई, जिससे आवासीय भवन में अंधेरा छा गया. आपातकालीन सेवाओं को घटनास्थल पर बुलाया गया, लेकिन दुखद रूप से, उन्हें लिफ्ट के अंदर मार्चियोन का शव मिला, जो दो मंजिलों के बीच फंसा हुआ था. पता चला कि लिफ्ट के दरवाजे खुले थे, लेकिन वह बच नहीं सकी.
दुर्घटनाओं का सटीक कारण जानने और भविष्य में इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दोनों मामलों की अब गहन जांच की जा रही है.
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