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एक जेल एक प्रोडक्ट योजना उत्तराखंड में होगी शुरू, कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

उत्तराखंड राज्य में इस वक्त 10 जिला कारागार हैं और सभी जिला कारागार में कैदियों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट लाया गया है. हालांकि पहले चरण में सिर्फ 3 जिलों में यह काम शुरू किया जाएगा.

एक जेल एक प्रोडक्ट योजना उत्तराखंड में होगी शुरू, कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
  • उत्तराखंड सरकार ने जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक जेल एक उत्पाद योजना शुरू की है
  • पहले चरण में देहरादून, सितारगंज और हरिद्वार जिला कारागारों को इस योजना के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल
  • जेलों में कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर समाज में पुनः स्थापित करने के लिए विशेष उत्पाद तैयार
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उत्तराखंड में जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार "एक जेल एक उत्पाद योजना" शुरू करने जा रही है. पहले फेस में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देहरादून सितारगंज और हरिद्वार जिला कारागार को शामिल किया जाएगा. जिसमें जेल में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स तैयार करवाए जाएंगे. जिनका उपयोग सरकारी कार्यालय और आम लोगों के लिए भी उपयोग में लाया जाएगा.

‘एक जेल एक उत्पाद' पायलट प्रोजेक्ट

उत्तराखंड राज्य में इस वक्त 10 जिला कारागार हैं और सभी जिला कारागार में कैदियों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट लाया गया है. हालांकि पहले चरण में सिर्फ 3 जिलों में यह काम शुरू किया जाएगा. राज्य सरकार ने इसको एक जेल एक उत्पाद योजना का नाम दिया गया है. हर जेल का अपना एक विशेष उत्पाद होगा, ताकि जेल में बंद कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण मिले और जब जेल से छूट जाए और समाज में उन्हें दोबारा से स्थापित होने के लिए उनका जेल में मिला व्यावसायिक प्रशिक्षण काम आ सकें.

लॉन्ड्री मशीन और मशरूम फार्मिंग की योजना

केंद्रीय कारागार सितारगंज, जिला कारागार अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, उप कारागार हल्द्वानी और रुड़की में लॉन्ड्री मशीन की स्थापना की जाएगी. वहीं जिला कारागार देहरादून और हरिद्वार में इसकी स्थापना से अच्छे परिणाम मिले हैं. प्रदेश की खुली जेल सितारगंज में कच्ची घानी सरसों तेल संयंत्र की स्थापना व सितारगंज और हरिद्वार जेल में मशरूम फार्मिंग की भी सहमति दी गई. जिला कारागार हरिद्वार, अल्मोड़ा, केंद्रीय कारागार सितारगंज और उपकारागार हल्द्वानी में बेकरी यूनिट की स्थापना से लगभग 12 लाख रुपये आय अर्जित हुई थी.

बेकरी यूनिट और गौशाला से लाखों की आय

सितारगंज खुली जेल में गौशाला की स्थापना से 10 लाख रुपये की आय हुई है. देहरादून जेल में कारपेंटर का काम काफी अच्छा किया जा रहा है. यही वजह है कि अब इसको बड़े प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने का फैसला उत्तराखंड की राज्य सरकार ने लिया है. ADG कारगार आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार ने एनडीटीवी से खास बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में जेल विकास बोर्ड की बैठक में एक जेल एक प्रोडक्ट के विकास पर गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए है.

कारपेंट्री प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर शुरू करने की तैयारी

ADG जेल अभिनव कुमार ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि कारागारों में बंद कैदियों के कौशल विकास के लिए नियमित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं. इसके साथ ही कहा कि अधिकारी समय-समय पर जेलों में भोजन की व्यवस्थाएं देखें ताकि कैदियों के भोजन की गुणवत्ता बनी रहे. ADG जेल अभिनव कुमार ने एनडीटीवी को जानकारी दी कि जेलों में किस तरह से कैदियों का कल्याण किया जाए उसके लिए हमारी एक टीम तमिलनाडु राज्य गई थी.

CM ने दिए ‘एक जेल एक उत्पाद' को बढ़ावा देने के निर्देश

जेलों में देखा कि कैसे कैदी वहां पर कारपेंटर, चमड़े से बने उत्पाद, होजरी उसी के तर्ज पर अब हम उत्तराखंड की जेल में भी एक जेल एक प्रोडक्ट पर काम करेंगे और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हमें इसी पायलट प्रोजेक्ट पर काम करने के निर्देश दिए हैं. ADG जेल अभिनव कुमार ने बताया कि पहले चरण में हम सितारगंज ,हरिद्वार और देहरादून की जेल में काम करेंगे. इसके अलावा हमारे राज्य में 10 कारगर है और हर जिले में क्या प्रसिद्ध उत्पाद है. किस चीज के कारीगर है उसके एक्सपट्र्स लेकर हम अपने यहां कैदियों को ट्रेनिंग भी देंगे.

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