- उत्तराखंड में पिछले 25 वर्षों में सड़कें 15000 किलोमीटर से बढ़कर 47000 किलोमीटर से अधिक हो गई हैं
- राज्य में 2000 से 2025 तक लगभग 43 लाख वाहनों का पंजीकरण हुआ है, जिसमें देहरादून सबसे आगे है
- देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार जैसे शहरों में सड़कें हैं पर उनकी चौड़ाई वाहनों की बढ़ती संख्या के हिसाब से नहीं
उत्तराखंड में वाहन बढ़े मगर सड़कों की चौड़ाई नहीं. राज्य में पिछले 25 सालों में सड़को की कुल लंबाई 47 हजार किलोमीटर से ज्यादा हो गई है. जब राज्य का गठन हुआ था, तब उत्तराखंड में 15 हजार किलोमीटर लंबाई सड़कें थी. उत्तराखंड में जिस हिसाब से सड़कों की लंबाई बढ़ी है उससे कई तेजी से राज्य में वाहनों की संख्या बढ़ी है. साल 2000 से 2025 वतर्मान तक 43 लाख के करीब वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ है. जिसमें सबसे पहले नंबर पर देहरादून है फिर उसके बाद हरिद्वार, उधम सिंह नगर ,हल्द्वानी और काशीपुर जिले आते हैं.
सड़कों पर जरूरत से ज्यादा दवाब
उत्तराखंड अपनी रजत जयंती मना रहा है. 25 सालों में राज्य ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास किया है. सड़क, बिजली, रोजगार, उद्योग, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यटन और बागवानी जैसे क्षेत्रों में. लेकिन राज्य के विकास की पहली सीढ़ी मानी जाने वाली सड़क व्यवस्था आज भी बढ़ते ट्रैफिक के दबाव में चरमराती नजर आ रही है. किसी भी राज्य में विकास की पहली सीढ़ी सड़क ही होती है, सड़क के आधार पर ही देखा जाता है कि उसे क्षेत्र में कितना विकास हुआ है क्योंकि सड़क से ही उद्योग क्षेत्रों में जाएंगे और सुविधा क्षेत्र बढ़ेगी.
कम चौड़ी सड़कें बन रही जी का जंजाल
पिछले 25 सालों में ही उत्तराखंड में 43 लाख वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं. जिसमें से अकेले देहरादून में 14 लाख वाहन रजिस्टर्ड है. जबकि वाहनों के हिसाब से राज्य के देहरादून, हल्द्वानी ,नैनीताल ,मसूरी,हरिद्वार जैसे शहरों में सड़क तो बनी लेकिन बढ़ते ट्रैफिक का हल नहीं हो पाया. आए दिन सड़कों पर घंटो-घंटो तक जाम लगा रहता है. राज्य में नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे तो बड़े पैमानों पर बनाए गए. लेकिन शहरों में सड़क की पर्याप्त चौड़ाई नहीं होने की वजह से और बेहिसाब गाड़ियां होने की वजह से सड़के छोटी पड़ गई और गाड़ियां ज्यादा हो गई है.
उत्तराखंड में प्रत्येक वर्ष वाहनों की संख्या के आंकड़े-
- 9 नवंबर 2000 से 31 मार्च 2001 - 11441
- 2001-2002 में 32371,
- 2001-2003 में 33363
- 2004-2005 में 46785
- 2005-2006 में 54964
- 2006-2007 में 74028
- 2007-2008 में 100597
- 2008-2009 में 94993
- 2009-2010 में 125264
- 2010-2011 में 158601
- 2011-2012 में 182106
- 2012-2013 में 179095
- 2013-2014 में 183538
- 2014-2015 में 202974
- 2015-2016 में 220408
- 2016-2017 में 229627
- 2017-2018 में 271669
- 2018-2019 में 274092
- 2019-2020 में 246527
- 2020-2021 में 184913
- 2021-2022 में 188433
- 2022-2023 में 240036
- 2023-2024 में 260030
- 2024-2025 में 282619
- 2025-2026 (07/11/2025) में182269
तेजी से बढ़ रही टू-व्हीलर्स की संख्या
यह सच है कि उत्तराखंड राज्य के बड़े शहर देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, नैनीताल, काशीपुर, रुद्रपुर है. जिसमें सड़कों का विस्तार हुआ है, लेकिन सड़कें उस लिहाज से नहीं बनी है. जिस लिहाज से इन शहरों में तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ी है. यही वजह है कि देहरादून और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में पिछले 25 सालों में टू व्हीलर की संख्या बड़ी है क्योंकि आए दिन लोग फोर व्हीलर में ट्रैफिक जाम में फंस जाते हैं. सड़के इतनी चौड़ी नहीं है कि फोर व्हीलर आसानी से निकल सकें. यही वजह है कि देहरादून शहर यानी देहरादून RTO में 863834 टू व्हीलर की संख्या और हल्द्वानी सिटी यानी हल्द्वानी RTO में भी 256886 टू व्हीलर की संख्या है.
इन दिनों में बढ़ जाती है समस्या
राज्य में कोई भी बड़ा कार्यक्रम होता है जैसे वीवीआईपी मूवमेंट या फिर त्योहारों के समय, राज्य के बड़े शहरों में खासकर देहरादून हरिद्वार हल्द्वानी इसके अलावा अन्य बड़े शहरों में ट्रैफिक जाम की समस्या हो जाती है. जिससे लोगों को 20 मिनट का सफर दो या तीन घंटे में करना पड़ता है. वहीं देहरादून सिटी में जब दिन में स्कूलों की छुट्टी होती है यानी 1:00 से लेकर 3:00 तक सफर करना बेहद मुश्किल हो जाता है. पूरे शहर में वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं. इसके अलावा सुबह 9:00 बजे से लेकर 10:00 बजे का समय और शाम को 6:00 बजे से लेकर 7:30 का समय ऐसा होता है जब देहरादून सिटी में आने जाने के लिए लोगों को 10 बार सोचना पड़ता है.
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