उत्तराखंड विधानसभा में अभूतपूर्व परिस्थितियों में बेहद महत्वपूर्ण विश्वासमत होने जा रहा है, और इस वक्त 'सत्तारूढ़' कांग्रेस की टिकट पर जीतकर आए वे नौ विधायक काफी अहम हो सकते थे, जिन्हें स्पीकर ने अयोग्य ठहरा दिया था, और अब वे वोट नहीं कर सकते हैं... आइए, आपको बताते हैं कौन-कौन हैं ये नौ 'पूर्व' विधायक...
विजय बहुगुणा
उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे बड़े नामों में से एक हेमवती नंदन बहुगुणा के सबसे बड़े पुत्र तथा कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद सितारगंज सीट से जीतकर उत्तराखंड के सातवें मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 31 जनवरी, 2014 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया, और उनके स्थान पर हरीश रावत राज्य के मुख्यमंत्री बन गए... वर्ष 1947 में जन्मे विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद से अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी की, और एलएलबी की डिग्री हासिल की। वे जज के तौर पर भी काम कर चुके हैं। विजय बहुगुणा उत्तरप्रदेश से कांग्रेस की प्रमुख नेता रीता बहुगुणा जोशी के भाई हैं। देश की 14वीं और 15वीं लोकसभा के भी सदस्य रह चुके कांग्रेस नेता विजय उन नौ विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें बागी होने की वजह से उत्तराखंड के स्पीकर कुंजवाल ने अयोग्य घोषित किया था।
अमृता रावत
अनुयायियों द्वारा आदर से श्री अमृता माता जी कही जाने वाली अमृता रावत अयोग्य ठहराए जाने से पहले उत्तराखंड के रामनगर विधानसभा क्षेत्र से सदस्य थीं... कांग्रेस पार्टी की ओर से वर्ष 2012 का चुनाव जीतने वाली 57-वर्षीय अमृता रावत भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सतपाल महाराज की पत्नी हैं...
हरक सिंह रावत
वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश के इतिहास के सबसे कमउम्र मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने वाले हरक सिंह रावत वर्ष 2012 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में रुद्रप्रयाग सीट से कांग्रेस की टिकट पर जीते थे... 55-वर्षीय हरक सिंह रावत ने मिलिटरी साइंस विषय में गढ़वाल की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी...
इन तीन नामों के अलावा रुड़की विधानसभा सीट से जीतने वाले प्रदीप बत्रा, खानपुर विधानसभा क्षेत्र से सदन में पहुंचे प्रणव सिंह (कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन), केदारनाथ सीट से जीतकर आईं शैला रानी रावत, जसपुर विधानसभा सीट से जीते शैलेंद्र मोहन सिंघल, नरेंद्र नगर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे सुबोध उनियाल और रायपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए उमेश शर्मा अयोग्य ठहराए गए नौ बागियों में शामिल हैं...
विजय बहुगुणा
उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे बड़े नामों में से एक हेमवती नंदन बहुगुणा के सबसे बड़े पुत्र तथा कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद सितारगंज सीट से जीतकर उत्तराखंड के सातवें मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 31 जनवरी, 2014 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया, और उनके स्थान पर हरीश रावत राज्य के मुख्यमंत्री बन गए... वर्ष 1947 में जन्मे विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद से अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी की, और एलएलबी की डिग्री हासिल की। वे जज के तौर पर भी काम कर चुके हैं। विजय बहुगुणा उत्तरप्रदेश से कांग्रेस की प्रमुख नेता रीता बहुगुणा जोशी के भाई हैं। देश की 14वीं और 15वीं लोकसभा के भी सदस्य रह चुके कांग्रेस नेता विजय उन नौ विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें बागी होने की वजह से उत्तराखंड के स्पीकर कुंजवाल ने अयोग्य घोषित किया था।
अमृता रावत
अनुयायियों द्वारा आदर से श्री अमृता माता जी कही जाने वाली अमृता रावत अयोग्य ठहराए जाने से पहले उत्तराखंड के रामनगर विधानसभा क्षेत्र से सदस्य थीं... कांग्रेस पार्टी की ओर से वर्ष 2012 का चुनाव जीतने वाली 57-वर्षीय अमृता रावत भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सतपाल महाराज की पत्नी हैं...
हरक सिंह रावत
वर्ष 1991 में उत्तर प्रदेश के इतिहास के सबसे कमउम्र मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने वाले हरक सिंह रावत वर्ष 2012 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में रुद्रप्रयाग सीट से कांग्रेस की टिकट पर जीते थे... 55-वर्षीय हरक सिंह रावत ने मिलिटरी साइंस विषय में गढ़वाल की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी...
इन तीन नामों के अलावा रुड़की विधानसभा सीट से जीतने वाले प्रदीप बत्रा, खानपुर विधानसभा क्षेत्र से सदन में पहुंचे प्रणव सिंह (कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन), केदारनाथ सीट से जीतकर आईं शैला रानी रावत, जसपुर विधानसभा सीट से जीते शैलेंद्र मोहन सिंघल, नरेंद्र नगर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे सुबोध उनियाल और रायपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए उमेश शर्मा अयोग्य ठहराए गए नौ बागियों में शामिल हैं...
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