- उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में तेंदुए और भालू के हमलों के कारण स्थानीय लोगों में डर का माहौल है.
- तेंदुए के हमले में एक युवक की मौत के बाद 48 स्कूल और 13 आंगनबाड़ी केंद्र बंद किए गए हैं.
- वन विभाग ने तेंदुए को नरभक्षी घोषित कर उसे पकड़ने या मारने के आदेश जारी किए हैं.
उत्तराखंड में इन दिनों वन्यजीवों के साथ संघर्ष काफी बढ़ गया है. प्रदेश में आए दिन तेंदुए और भालू के हमलों की खबरें सुर्खिंया बनती हैं. तेंदुए और भालू रिहाशी इलाकों में इंसानों पर हमले कर रहे हैं. इनका आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लोग अब देर रात शादियों में नहीं जा रहे हैं तो आम लोगों का सुबह निकलना भी कम हो रहा है. उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में खासकर चमोली ,रुद्रप्रयाग, पौड़ी अल्मोड़ा, कपकोट, चंपावत, बागेश्वर में तेंदुए का आतंक बना हुआ है. कई जगहों पर भालू भी इंसानों पर लगातार हमला कर रहे हैं. उत्तराखंड के पौड़ी जिले में 4 दिसंबर को लेपर्ड के हमले में एक युवक की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद पौड़ी जिले के 48 स्कूलों में शनिवार तक की छुट्टी घोषित कर दी गई है. 13 आंगनबाड़ी केंद्र 8 दिसंबर तक बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं.
प्रदेश में तेंदुए के हमले की वजह से 48 स्कूलों सहित आंगनबाड़ी केंद्रों को शनिवार तक बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं, इन स्कूलों में करीब 450 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, जिनकी शिक्षा पर फिलहाल शनिवार तक ब्रेक लग गया है. इन स्कूलों में 32 प्राइमरी, 6 उच्च प्राथमिक, 4 हाई स्कूल, तीन इंटर कॉलेज और तीन निजी स्कूल हैं. साथ ही बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए ऑनलाइन कक्षा चलाने के भी निर्देश हैं. इसके अलावा पौड़ी के ही 13 आंगनबाड़ी केंद्र भी 8 दिसंबर तक बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं.
लोगों में डर का माहौल
आदेश में लिखा गया है कि तेंदुए के हमले और तेंदुए की चहलकदमी लगातार क्षेत्र में देखी जा रही है, जिसकी वजह से लोगों के बीच डर का माहौल है और ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित की गई है.
तेंदुए का आतंक इस कदर है कि अब बच्चों को घर में ही बैठना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा है. तेंदुए के लगातार हमले की वजह से ग्रामीण काफी गुस्से में हैं. तेंदुए के हमले में युवक की जान जाने के बाद ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर बॉडी के बीजेपी के विधायक और बॉडी के डीएम का घेराव कर दिया इसके बाद ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक ने तेंदुए को पकड़ने और पकड़े न जाने की स्थिति में मारने के आदेश जारी कर दिए हैं. 15 दिन में दूसरे तेंदुए को मारने के आदेश जारी किए गए हैं. इसकी वजह यही है कि तेंदुए कई जगहों पर सक्रिय है और लगातार इंसानों पर हमले कर रहे हैं, जिसके बाद वन विभाग ने तेंदुआ को नरभक्षी घोषित करने के आदेश जारी किए हैं.
25 साल, 548 मौतें
वही उत्तराखंड में वन्य जीव संघर्ष की बात करें तो तेंदुए के हमले से सबसे ज्यादा लोगों की मौत और घायल हुए हैं. प्रदेश में 25 सालों में 548 लोगों की मौत हुई है. इसी तरह से हाथियों के हमले में 230 लोगों के मौत हुई है और बाघ के हमले में 106 लोगों की मौत हुई है और सांपों के काटे जाने की वजह से 260 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं भालू के हमले में 70 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही तेंदुए के हमले में 2127 लोग और हाथियों के हमले में 234 लोग घायल हुए हैं. वहीं भालू के हमले में 2013 लोग घायल हो चुके हैं. इसी तरह से सांप के काटे जाने की वजह से 1056 लोग घायल हुए हैं.
इस वक्त सबसे ज्यादा तेंदुए और भालू के हमले से उत्तराखंड में आम लोग परेशान हैं. भालू के हमले की बात करें तो पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार, पिथौरागढ़, टिहरी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, मसूरी, नैनीताल, चंपावत और हल्द्वानी में हुए हैं, लेकिन तेंदुए के हमले की बात करें तो तेंदुए के हमले साल भर पूरे उत्तराखंड में देखे जाते रहे हैं. भालू की अपेक्षा तेंदुआ पूरे उत्तराखंड में हर जगह मौजूद है और हर जगह इसके हमले या फिर इसके द्वारा लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहती है तो वहीं भालू के हमले नंबर और दिसंबर के समय ज्यादातर देखने को मिलते हैं.
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