
Ramji Lal Suman And Rana Sanga: राजपूत राजा राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में एक जाना-माना नाम हैं. उन्हें दलित राजनीति के एक बड़े और कद्दावर चेहरे के तौर पर पहचान मिली हुई है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी राजनीतिक क्षमता को देखते हुए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था. इसके बाद, साल 2024 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजकर उच्च सदन में भी उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की.
अखिलेश यादव की 'पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक' (पीडीए) राजनीति के रामजी लाल सुमन एक महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं. हाल ही में उनकी चर्चा बाबर-औरंगजेब को लेकर चल रहे विवाद के बीच राणा सांगा को 'गद्दार' कहे जाने के बयान के कारण और भी बढ़ गई है.
रामजी लाल सुमन की खास बातें
- रामजी लाल सुमन का जन्म 25 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बहदोई गांव में हुआ था.
- उनकी शुरुआती शिक्षा उनके गांव में ही हुई.
- उन्होंने हाथरस से माध्यमिक शिक्षा और आगरा कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की.
- उन्होंने 1980-81 में आगरा से कानून की डिग्री (LLB) हासिल की
- अपने कॉलेज के दिनों से ही वे छात्र राजनीति में सक्रिय रहे.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से लगाए गए आपातकाल के दौरान रामजी लाल सुमन को जेल भी जाना पड़ा था. जेल से रिहा होने के बाद, 1977 के लोकसभा चुनाव में, महज 26 साल की उम्र में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा और पहली ही बार में सांसद बनकर अपनी राजनीतिक प्रतिभा का परिचय दिया. इसके बाद, 1989 में वे एक बार फिर संसद पहुंचे.
जानकारी के मुताबिक, रामजी लाल सुमन के पास दो करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है और उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.
1991 में जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे, तो उनकी सरकार में रामजी लाल सुमन को श्रम कल्याण, महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री बनाया गया था. लेकिन, साल 1993 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद, वे मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. उन्होंने 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से जीतकर अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ को साबित किया.
रामजी लाल सुमन को कभी समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी लोगों में गिना जाता था. आज वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भी खास माने जाते हैं और पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनकी पहचान एक ऐसे समाजवादी नेता की है, जो दलित समुदाय के हितों के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे हैं. उन्हें सपा अध्यक्ष का एक भरोसेमंद नेता माना जाता है. इसी विश्वास के चलते समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विचारों को रखने का मंच प्रदान किया है.
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