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सालों से चली आ रही परंपरा टूटी... बांके बिहारी को क्यों नहीं मिला समय पर भोग?

ब्रज के कण-कण में बसे आराध्य बांके बिहारी के मंदिर में सालों से चली आ रही एक महत्वपूर्ण परंपरा टूट गई है.

सालों से चली आ रही परंपरा टूटी... बांके बिहारी को क्यों नहीं मिला समय पर भोग?
वृंदावन:

 उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में पहली बार बाल भोग समय से नहीं लग सका. मंदिर की हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी द्वारा निर्धारित किए गए हलवाई को पेमेंट न मिलने के कारण बालभोग नहीं बन सका. बाद में कमेटी सदस्य के हस्तक्षेप के बाद हलवाई ने बालभोग तैयार किया और फिर करीब डेढ़ घंटे देरी से भगवान को अर्पित किया गया.

भगवान बांके बिहारी जी को तीन बार भोग अर्पित किया जाता है. सबसे पहले मंदिर खुलने से पहले उनका श्रृंगार करने के बाद बालभोग लगाया जाता है, जिसमें दो मिठाई और 2 नमकीन होते हैं. भगवान को बालभोग अर्पित करने के बाद दोपहर में राजभोग और रात को शयन भोग अर्पित किया जाता है. बांके बिहारी जी को अर्पित किए जाने वाला बालभोग समय पर अर्पित नहीं किया जा सका. सर्दियों में भगवान को बालभोग सुबह करीब साढ़े 8 बजे अर्पित किया जाता है. लेकिन यहां समय से बालभोग करीब डेढ़ घंटे देरी से दस बजे अर्पित किया गया. यह पहली बार है जब समय से भगवान को बालभोग नहीं अर्पित किया जा सका.

बांके बिहारी मंदिर में हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी बनने के बाद भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग बनाने के लिए हलवाई को भोग बनाने के लिए ठेके पर हलवाई रखा गया है. ठेकेदार द्वारा हलवाई को तनख्वा नहीं दिए जाने के कारण भोग नहीं बनाया. लेकिन सैलरी का आश्वासन देने के बाद देरी से भोग बनाया.

बांके बिहारी मंदिर के पुजारी कहते हैं भगवान को 2 टाइम सुबह और फिर 2 टाइम शाम को भोग लगता है और रात्रि में सोने से समय उनके पास लड्डू और जल रखा जाता है. बांके बिहारी जी के पुजारी विजय कृष्ण गोस्वामी बताते हैं कि पक्का प्रसाद मंदिर के ऊपर बनी रसोई में बनता है और कच्चा प्रसाद यानी चावल रोटी, दाल आदि सामग्री गोस्वामियों के घर यानी हवेली में बनता है.

सौरभ गौतम/रणवीर की रिपोर्ट
 

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