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अनिल बने यूपी IAS एसोसिएशन के अध्यक्ष, नहीं हुई 8 सालों से मीटिंग 

UP IAS Association: एक जमाने में यूपी में IAS अधिकारियों का संगठन के पास अपार शक्ति थी. आपसी मतभेदों के बावजूद एसोसिएशन बड़े-बड़े फैसले कर चुका है.

अनिल बने यूपी IAS एसोसिएशन के अध्यक्ष, नहीं हुई 8 सालों से मीटिंग 
प्रतीकात्मक तस्वीर

UP IAS Association New President: अनिल कुमार यूपी IAS एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए हैं. सबसे सीनियर अफ़सरों में से किसी एक को ये ज़िम्मेदारी देने की परंपरा रही है. अनिल कुमार अभी यूपी राजस्व परिषद के अध्यक्ष हैं. उनसे पहले मोनिका गर्ग यूपी IAS एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं. वे 30 अप्रैल को रिटायर हो गईं. इसके बाद ही ये बदलाव हुआ है. पंकज कुमार IAS एसोसिएशन के सचिव बनाए गए हैं.

कभी इतना पावरफुल हुआ करता था ये संगठन

एक जमाने में यूपी में IAS अधिकारियों का संगठन के पास अपार शक्ति थी. आपसी मतभेदों के बावजूद एसोसिएशन बड़े-बड़े फैसले कर चुका है. जब भी किसी सहयोगी IAS अफसर पर मुसीबत आई, सबने मिल कर संघर्ष किया. हर साल अफ़सरों की एक बड़ी बैठक लखनऊ में होती थी. इसे "IAS वीक" कहा जाता है. तीन या चार दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम में खेल और संगीत से लेकर गंभीर विषयों पर चर्चा होती थी. पर ये सब अब अतीत में समा गया है.

8 सालों से यूपी में IAS वीक नहीं हो पाया

पिछले आठ सालों से यूपी में IAS वीक नहीं हो पाया है. अफ़सरों को लेकर कई मुद्दे बीच-बीच में आते रहें. लेकिन योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से बस एक बार ही एसोसिएशन की बैठक हो पाई. कहने के लिए संगठन है, अध्यक्ष हैं और सचिव भी. लेकिन ये सब अब बस एक रस्म अदायगी भर है. इससे पहले हर साल IAS वीक आयोजित होता था. लेकिन 7 साल पहले ही ये परंपरा टूट गई.

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यूपी के IAS एसोसिएशन ने ही सबसे भ्रष्ट अफसर का चुनाव किया था. एक दौर में संगठन की ये ताकत थी. एसोसिएशन के सदस्यों ने वोट से टॉप 5 भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों का चुनाव किया था. देशभर में इसकी बड़ी चर्चा हुई थी. विजय शंकर पांडे ने ये पहल की थी. उनके साथी आईएएस अफ़सरों ने उनका साथ दिया. फिर भ्रष्ट अधिकारी का चुनाव हुआ. 

निष्क्रिय हो चुका यूपी में IAS अधिकारियों का संगठन

अब बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे! सब अपनी अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं. इसी चक्कर में यूपी में IAS अधिकारियों का संगठन निष्क्रिय हो चुका है. वरना तो सीएम इलेवन और IAS इलेवन में क्रिकेट मैच तक होता था. योगी आदित्यनाथ ने भी एक बार इस तरह के मैंच में बैटिंग की थी. यूपी की ब्यूरोक्रेसी राजनैतिक तौर पर बंट गई है. जाति भी अब एक बड़ा फैक्टर है. 

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