महाराष्ट्र और झारखंड के बड़े चुनाव के बीच उत्तर प्रदेश (UP By Poll 2024) में एक छोटा चुनाव हो रहा है. छोटा इसलिए क्योंकि यूपी में नौ सीटों पर उपचुनावों की घोषणा हो चुकी है. कहने को ये चुनाव छोटा है, लेकिन लड़ाई बड़ी है. ये लड़ाई प्रतिष्ठा की लड़ाई है. इंडिया (INDIA) और एनडीए (NDA) के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई. इस चुनाव में जीत हार से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. असर सिर्फ मनोबल पर पड़ेगा, जिस वजह से लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित नतीजों के बाद समीकरण को अपने हिसाब से ठीक किया जा सके.
यूपी में जिन नौ सीटों पर चुनावों की तारीख़ों का ऐलान कर दिया गया है, उनमें -
- अंबेडकरनगर की कटेहरी
- मैनपुरी की करहल
- मुजफ्फरनगर की मीरापुर
- गाजियाबाद सदर
- मिर्ज़ापुर की मझवां
- कानपुर की सीसामऊ
- अलीगढ़ की खैर
- प्रयागराज की फूलपुर
- मुरादाबाद की कुंदरकी शामिल हैं.
सपा-कांग्रेस की तकरार
इन सभी नौ सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होंगे. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. नामांकन की आख़िरी तारीख़ दो दिन बची है, यानी 25 अक्टूबर आखिरी तारीख है. अगर बात करें प्रत्याशियों की तो समाजवादी पार्टी (SP) ने नौ में से छह सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है. हालांकि कांग्रेस (Congress) के साथ सीटों को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. कांग्रेस ने सपा से पांच सीटों की मांग की है, लेकिन सपा दो से ज़्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है. सपा ने कांग्रेस को गाजियाबाद और खैर सीटें गठबंधन में ऑफर की हैं, लेकिन कांग्रेस कुछ ज़्यादा उम्मीद कर रही है.
बीजेपी ने नाम नहीं घोषित किए
बीजेपी (BJP) और उसके सहयोगी दलों की तरफ़ से अब तक उम्मीदवारों के नाम सामने नहीं आए हैं. नौ में से बीजेपी आठ पर ख़ुद लड़ना चाहती है और एक सीट आरएलडी को देने को तैयार है. हालांकि एनडीए के घटक दल निषाद पार्टी ने दो सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है. डॉ संजय निषाद बीजेपी से कटेहरी और मझवां सीट मांग रहे हैं. उनका तर्क है कि 2022 में ये दोनों सीटें गठबंधन में बीजेपी ने निषाद पार्टी को दी थीं, इसलिए उप-चुनाव में भी उन्हें उनके खाते की ये दोनों सीटें मिलनी चाहिए. हालांकि बीजेपी अब तक इस पर राजी नहीं दिखाई दे रही है.
यहां दांव पर प्रतिष्ठा
इन नौ सीटों में यूं तो हर सीट महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनैतिक प्रतिस्पर्धा को देखें तो महत्वपूर्ण सीटों में पहला नाम करहल का आता है. मैनपुरी ज़िले की करहल वो सीट है, जहां से अखिलेश यादव विधायक थे. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद अखिलेश ने करहल से इस्तीफ़ा देकर अपने परिवार के तेज प्रताप यादव को यहां से टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने अभी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है.
यहां साख बचाने की जंग
दूसरी महत्वपूर्ण सीट कानपुर की सीतामऊ है. इरफ़ान सोलंकी के सज़ायाफ़्ता होने की वजह से वो अयोग्य क़रार दिए गए. समाजवादी पार्टी ने सीसामऊ से इरफ़ान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है. नसीम सोलंकी ने यहां से नामांकन भी दाखिल कर दिया है. यहां भी बीजेपी से कौन उम्मीदवार होगा, इसका खुलासा अब तक नहीं हुआ है.
यहां आपस में तकरार
तीसरी महत्वपूर्ण सीट फूलपुर कहीं जा सकती है. प्रयागराज की फूलपुर सीट पर सपा और कांग्रेस दोनों अपना अपना क़ब्ज़ा बता रहे हैं. सपा ने फूलपुर से तीन बार के विधायक मुस्तफ़ा सिद्धकी को टिकट दिया है. सूत्रों के मुताबिक़ प्रियंका गांधी का कोई क़रीबी यहां से चुनाव लड़ना चाहता है. हालांकि सपा इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है और कांग्रेस लगातार दबाव बना रही है. अब देखना होगा अगले एक दिन में सपा कांग्रेस की बात मानकर ये सीट छोड़ती है या नहीं. फूलपुर में भी बीजेपी के प्रत्याशी के नाम का ऐलान अब तक नहीं हुआ है.
दिल्ली की परिक्रमा
उधर, यूपी उप-चुनाव को लेकर दिल्ली में डेरा जमाए निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद का दावा है कि उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और सुनील बंसल से मुलाक़ात की है. डॉ संजय निषाद ने कहा है कि कल बीजेपी अध्यक्ष और आज सुनील बंसल से मिलकर उन्होंने कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी को देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सुनील बंसल से उन्होंने अपने संभावित प्रत्याशियों से बात कराई और बताया कि उनके संभावित प्रत्याशी कैसे मजबूती से चुनाव लड़ सकते हैं.
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