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9 बच्चों को ले जा चुका वो, 16 टीमें लगी हैं, पर भेड़िया खेल रहा 'लुकाछिपी'

वन विभाग और दूसरी टीमों की मुस्तैदी के बाद भी बहराइच के आदमखोर भेड़िए (Bahraich Wolf) चमका देकर फरार हो जाते हैं. ऐसा लगने लगा है कि पिंजरा, ड्रोन कैमरा, 16 टीमें, 200 जवान, ये सारे इंतजाम जैसे चंद भेड़ियों के आगे बेकार हैं.

9 बच्चों को ले जा चुका वो, 16 टीमें लगी हैं, पर भेड़िया खेल रहा 'लुकाछिपी'
कब खत्म होगा बहराइच के आदमखोर भेड़ियों का आतंक?

भागो,भागो भेड़िया आया... कुछ ऐसा ही मंजर पिछले दो महीने से उत्तर प्रदेश के बहारइच (Bahraich Wolf Attack) का है. कछार के 40 गांव में इन दिनों आदमखोरों के खौफ से हाहाकार है. भेड़िए अब तक 9 बच्चों समेत 10 लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं. 37 से ज्यादा लोगों को बुरी तरह से घायल कर दिया है. आदमखोरों के मुंह खून कुछ इस कदर लगा है कि उनकी भूख शांत होने का नाम ही नहीं ले रही है. ग्रामीणों में दहशत कुछ इस कदर बैठ गई है कि बाहर तो छोड़िए वह अपने घरों में भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. अपने हमलों का दायरा ये आदमखोर हर दिन बढ़ा रहे हैं. हरदी और खैरीघाट के बाद अब ये भेड़िए रामगांव में भी पहुंच गए हैं. 

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बहराइच के 40 गांव में भेड़िए का आतंक

मंगलवार को 5 साल की अफसाना भेड़िए का निवाला बनते-बनते बची. भेड़िए ने उसकी गर्दन पर हमला कर दिया, कैसे भी करके बस उसकी जान बच गई. लेकिन सोमवार को ढाई साल की अंजलि को नहीं बचाया जा सका. वह अपनी मां के पास सो रही थी. तभी भेड़िया घर में घुसा और बच्ची को अपने जबड़े में दबाकर ले गया. कोटिया के बारा बिगहा की कमला हो या पपिपी मोहन की सुमन देवी,ये सब लोग भेड़िए के हमले का शिकार हुए हैं. 

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ड्रोन कैमरे लगे, फिर भी चकमा दे रहे भेड़िए

वन विभाग और दूसरी टीमों की मुस्तैदी के बाद भी ये आदमखोर चमका देकर फरार हो जाते हैं. ऐसा लगने लगा है कि पिंजरा, ड्रोन कैमरा, 16 टीमें, 200 जवान, ये सारे इंतजाम जैसे चंद भेड़ियों के आगे बेकार हैं. चार भेड़िए अब तक पकड़े जा चुके हैं, अब सिर्फ दो भेड़िए ही बचे हैं, जिन्होंने 40 गांव के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. वन अधिकार भेड़ियों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन ये आदमखोर गन्ने के खेत में उनको चमका देने में कामयाब हो जाते हैं. ऑपरेशन भेड़िए के लिए चार थर्मल ड्रोन इस्तेमाल किए जा रहे हैं. भेड़ियों को पकड़ने कते लिए वन अधिकारी नदियों तक को पार करने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी हाथ खाली के खाली हैं.

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मंत्री और अधिकारियों के दौरे

  • 28 अगस्त- वन मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने दौरा कर प्रभावी कदम उठाने के दिए निर्देश.
  • 29 अगस्त- मत्स्य प्रभारी मंत्री पीड़ित परिवार से मिलने दीवान पुरवा गांव पहुंचे.
  • 31 अगस्त- बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा मक्कापुर नकवा गांव पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे.
  • 2 सितंबर- अपर पुलिस महानिदेशक, गोरखपुर डॉ. केएस प्रताप कुमार नउवनपुरना गांव पहुंचे.

ऐसे पकड़ में आएंगे आदमखोर भेड़िए?

आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए गांव वालों ने अब नई तरकीब खोज निकाली है. वह बच्चों की टॉयलेट में भिगोई हुई रंग-बिरंगी गुड़ियों को नही किनारे लगे रहे हैं, ताकि इन जगहों पर छिपे भेड़िए बच्चों जैसी गंध कीा वजह से उस तरफ खिंचे चले आएं और पकड़ में आ सकें.

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कब पकड़े जाएंगे बहराइच के आदमखोर?

भेड़ियों के लगातार ठिकाने बदलने की वजह से न सिर्फ वन विभाग के अधिकारी बल्कि गांव वाले भी काफी परेशान हैं. आदमखोर रात में शिकार कर रहे हैं और दिन में छिप जाते हैं. उनको पिंजरों में फंसाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. प्रशासन की ये तरकीब कितनी कारगर होती है, ये देखना होगा. भेड़ियों के आतंक को देखते हुए योगी सरकार भी सख्त हो गई है. सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि या तो जल्द से जल्ज आदमखोरों को पकड़ा जाए. एगर वह पकड़ में नहीं आ रहे तो देखते ही उनको गोली मार दी जाए. 

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