लखनऊ के पीएमएलए स्पेशल कोर्ट ने दो आरोपियों विशाल शर्मा उर्फ शिवश पाठक और नईम खान उर्फ आरके मिश्रा को सेंट्रल बैंक के साथ की गई धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्डिरिंग के मामले में दोषी ठहराया है. उन्होंने भारत सरकार और इलाहाबाद बैंक के फर्जी आईडी और पते का उपयोग करके डाकघर से फर्जी तरीके से खरीदे गए जाली "किसान विकास पत्र" पर लोन लिया था. दोनों को शुक्रवार को तीन साल की सजा सुनाई गई.
विशेष अदालत ने पीएमएलए की धारा 3 आर/डब्ल्यू 4 के तहत अपराध के लिए तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया. दोनों को लखनऊ जिला जेल भेज दिया गया.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में दोनों दोषियों सहित विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत लखनऊ सीबीआई द्वारा दर्ज की गईं चार एफआईआर के आधार पर जांच की थी. एफआईआर में उन पर आरोप लगाया गया था कि दोनों ने डाक कर्मचारियों सहित अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश के तहत फर्जी आईडी और पते वाले "किसान विकास पत्र" का उपयोग करके लोन लिया. इस कृत्य के जरिए उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक से 2.87 करोड़ की धोखाधड़ी की.
पीएमएलए के तहत ईडी की जांच के दौरान दोनों दोषियों की पांच अचल संपत्तियां, 2.87 करोड़ मूल्य के फ्लैट, दुकानें, आवासीय घर और कृषि भूमि कुर्क की गई. मामले में 11 अप्रैल 2018 को दोषी विशाल शर्मा और नईम खान सहित चार लोगों के खिलाफ पीएमएलए की धारा 45 के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की गई.
मुकदमे के दौरान उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराया गया. दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने दोनों दोषियों को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया. अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है.
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