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किरन सिंह: गाजीपुर के गांव की साधारण महिला से मसालों की सफल उद्यमी बनने की कहानी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की एक साधारण महिला, जिनकी पहचान कभी सिर्फ उनके घर तक सीमित थी, आज एक सफल उद्यमी के रूप में पूरे जनपद के लिए मिसाल बन चुकी हैं.

किरन सिंह: गाजीपुर के गांव की साधारण महिला से मसालों की सफल उद्यमी बनने की कहानी
  • गाजीपुर की किरन सिंह ने आर्थिक तंगी के बावजूद मिशन शक्ति के तहत महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है
  • किरन ने जय मां काली स्वयं सहायता समूह की स्थापना कर गांव की महिलाओं को बचत और आत्मनिर्भरता सिखाई
  • मसाला निर्माण के वैज्ञानिक प्रशिक्षण से किरन ने उत्पाद की गुणवत्ता और ब्रांडिंग में सुधार किया
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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की एक साधारण महिला, जिनकी पहचान कभी सिर्फ उनके घर तक सीमित थी, आज एक सफल उद्यमी के रूप में पूरे जनपद के लिए मिसाल बन चुकी हैं. यह कहानी है किरन सिंह की, जिन्होंने 'मिशन शक्ति' के तहत खुद को और अपने साथ जुड़ी दर्जनों महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है.

संघर्ष से सफलता तक का सफर

गाजीपुर के रेवतीपुर विकासखंड के छोटे से गांव उतरौली में जन्मीं किरन सिंह का जीवन चुनौतियों से भरा रहा. आर्थिक तंगहाली के कारण वह उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकीं, लेकिन उनके सपनों की उड़ान को डिग्रियां नहीं, बल्कि उनका हौसला तय करने वाला था.   

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'जय मां काली' समूह: सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी

किरन ने महसूस किया कि अकेले संघर्ष करने से बेहतर है संगठित होना. उन्होंने 'जय मां काली स्वयं सहायता समूह' की नींव रखी. इसका उद्देश्य गांव की महिलाओं को बचत की आदत डालना और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना था.

मसाला उद्योग: प्रशिक्षण बना जीत का आधार

किरन ने केवल मेहनत पर भरोसा नहीं किया, बल्कि हुनर को भी तराशा. उन्होंने मसालों के निर्माण के वैज्ञानिक तरीकों का प्रशिक्षण लिया, जिसमें उन्होंने सीखा. जैसे- ​कच्चे माल की गुणवत्ता की पहचान करना. ​मसालों को पीसने की आधुनिक तकनीक. ​धूप में सुखाने और नमी नियंत्रित करने के तरीके. ​उत्पादों की आकर्षक लेबलिंग और ब्रांडिंग. ​प्रशिक्षण से मिले ज्ञान और आत्मविश्वास के साथ किरन ने मसाला उद्योग शुरू करने का निर्णय लिया.

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एक लाख रुपये के ऋण से लाखों का टर्नओवर

जिलाधिकारी गाजीपुर अविनाश के कुशल निर्देशन और सरकारी योजनाओं के सहयोग से किरन ने 1,00,000 रुपये का ऋण प्राप्त किया. घर के एक कोने से शुरू हुआ यह सफर आज एक बड़े लघु उद्योग में बदल चुका है. उनके मसालों की शुद्धता ने उन्हें पूरे जिले में लोकप्रिय बना दिया है.

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महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा

किरन सिंह की सफलता की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि उन्होंने अकेले तरक्की नहीं की. आज उनके साथ गांव की कई महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. कोई पैकिंग संभालती है, तो कोई मार्केटिंग. किरन ने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता ही सम्मान का असली मार्ग है. किरन सिंह की कहानी यह सिद्ध करती है कि यदि दृढ़ निश्चय और सरकारी योजनाओं (जैसे मिशन शक्ति) का सही तालमेल हो, तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं है.

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