राजधानी लखनऊ में बलात्कार की घटनाओं को लेकर झकझोर देने वाले नाटक का मंचन हुआ. नाटक एक कहानी पर आधारित रहा. एक लड़की का उसका दोस्त अपहरण करता है और रेप के बाद हत्या कर देता है. पुलिस मां को उसकी बेटी की बलात्कार के बाद हत्या की सूचना देती है. मां न्याय के लिए लड़ती है. आखिरकार चार साल के इंतजार के बाद मां को न्याय नसीब होता है. इस नाटक का संदेश रहा कि हमें अन्याय के खिलाफ मुखर होकर लड़ना चाहिए और कभी पीछे नहीं हटना चाहिए. धन्यवाद ज्ञापन ऊषा विश्वकर्मा और रूपा पांडेय ने किया.
इस दौरान कई पंक्तियों ने लोगों का ध्यान खींचा. मसलन....रेप शर्म की बात, लेकिन आज कल तो इसमें भी लोग करते हैं धर्म की बात. ...क्या फर्क पड़ता है वो हिंदू थी, क्रिश्चियन थी या मुसलमान थी... सबसे पहले वो आदमजात इंसान थी. निकली थी वो अपने सपनों को सच करने इस समाज में.. चाहती थोड़ा बहुत सम्मान थी..लेकिन जो हुआ उसके साथ उसे देख के वो खुद भी हैरान थी. सौरभ जोशी और रुपाली जोशी ने भी भूमिका निभाई.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं